रविवार, 27 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम का 117वां एपिसोड प्रसारित किया गया। इस दौरान पीएम मोदी ने कई चर्चित विषयों पर चर्चा की। उन्हीं में से एक डिजिटल अरेस्ट का विषय भी शामिल था। दरअसल, बीते कुछ समय से देश में डिजिटल अरेस्ट चर्चा का विषय रही हैं। कई राज्यों में डिजिटल अरेस्ट कर धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। ऐसे में पीएम मोदी ने इसको लेकर चिंता जाहिर की है। साथ ही उन्होंने डिजिटल अरेस्ट से बचाव के उपाय को भी साझा किया है।

पीएम मोदी ने बताया बचने के उपाय

बीते कुछ समय से देश के अलग-अलग हिस्सों से डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं लोगों के लिए चिंता की सबब बनती जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में इससे बचने को लेकर कहा कि रूको, सोचो और फिर एक्शन लो। ऐसे में इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे कि डिजिटल अरेस्ट क्या है और इससे बचने के लिए क्या उपाय अपना सकते हैं।

क्या है डिजिटल अरेस्ट

डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराधियों का फ्रॉड करने का एक नया तरीका है। इसमें जालसाज द्वारा पुलिस, ईडी, कस्टम ऑफिसर, इनकम टैक्स, सीबीआई और नारकॉटिक्स अधिकारी बनकर पीड़ित के पास कॉल करते हैं। इस दौरान उनके द्वारा अवैध गतिविधियों या आपराधिक घटनाओं में शामिल होने की बात कही जाती है। जिसके तुरंत निपटारे के लिए जालसाजों द्वारा वीडियो कॉल करने की मांग की जाती है। ऐसे में उनको वीडियो कॉल या कॉल पर ही डिजिटली अरेस्ट कर डराया जाता है। पीड़ित को फर्जी दस्तावेज दिखाकर गिरफ्तारी करने से बचने के लिए जुर्माने की मांग करते हैं। वहीं जुर्माने की राशि नहीं देने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का दबाव डाला जाता है। दरअसल, डिजिटल अरेस्ट के अंतर्गत जालसाज फर्जी पुलिस या अधिकारी बनकर पीड़ित को धमकाने का काम करते हैं।

गृह मंत्रालय कर रहा है जागरूक

फिलहाल, डिजिटल अरेस्ट की घटना को लेकर गृह मंत्रालय की तरफ से जनता को आगाह किया जा रहा है। इसको लेकर लोगों को सतर्क और जागरूक किया जा रहा है। गृह मंत्रालय की साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस ब्रांच साइबर दोस्त द्वारा पोस्ट करके लोगों को जागरुक किया जा रहा है। हाल ही में साइबर दोस्त ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X पर पोस्ट शेयर किया है। जिसमें बताया गया कि डिजिटल अरेस्ट सिर्फ एक स्कैम है। कोई भी वैध अधिकारी कभी कॉल या वीडियो कॉल पर अरेस्ट नही करते हैं। ऐसे में कभी आप ठगी का शिकार हो जाते हैं, तो तुरंत 1930 पर कॉल कर रिपोर्ट दर्ज कराएं।

इस तरह करें बचाव

अगर कभी डिजिटल अरेस्ट हो जाते हैं तो जल्दबाजी करने से बचें। तुरंत कोई भी प्रतिक्रिया देने से बचे।
अगर कोई खुद को अधिकारी या किसी प्रवर्तन एजेंसी से होने का दावा करता है तो उसकी अच्छे से जांच पड़ताल करें।
अगर कोई अधिकारी बनकर वीडियो कॉल करने का दबाव डालता है तो उसकी बातों पर विश्वास न करें। वीडियो कॉल न करें। साथ ही रूपए को ट्रांसफर न करें।
इसके अलावा किसी भी व्यक्ति या अनजान व्यक्ति से अपने ऑफिशियल या जरूरी दस्तावेजों को साझा न करें।
वहीं कोई भी अधिकारी बातचीत और गिरफ्तारी को लेकर व्हाट्सएप और स्काइप जैसे एप्स से कभी कॉल नहीं करता है। ऐसे में उनके बहकावे में आने से बचें।
अगर इस तरह की परिस्थिति पर फंसे तो तुरंत ही स्थानीय पुलिस या नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (cybercrime.gov.in) को सूचित करें।

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