नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को ₹1 लाख करोड़ के रिसर्च, डेवलपमेंट और इनोवेशन (RDI) कोष को मंजूरी दे दी। इस स्कीम का मकसद है प्राइवेट सेक्टर को दीर्घकालिक, सस्ते या ब्याज-मुक्त फंडिंग के ज़रिए रणनीतिक और हाई-ग्रोथ इंडस्ट्रीज़ में निवेश के लिए प्रेरित करना।
सरकारी बयान में कहा गया इनवेशन और रिसर्च को कमर्शियल बनाने में निजी क्षेत्र की भूमिका अहम है। RDI स्कीम का उद्देश्य है दीर्घकालिक, कम ब्याज या बिना ब्याज वाले ऋण और इक्विटी निवेश के ज़रिए इस क्षेत्र में प्राइवेट निवेश को गति देना।
इन सेक्टरों में होगा निवेश
RDI स्कीम मुख्य रूप से उन सेक्टरों को लक्षित करेगी जिन्हें ‘सनराइज़ सेक्टर्स’ कहा जाता है, यानी ऐसे क्षेत्र जिनमें भविष्य में तेज़ी से ग्रोथ की संभावना है डीप टेक्नोलॉजी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), ग्रीन टेक्नोलॉजी, स्ट्रैटेजिक तकनीकी अधिग्रहण (Technology Acquisition)। सरकार का उद्देश्य है कि भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में तकनीकी आत्मनिर्भरता हासिल कर सके और भविष्य की टेक्नोलॉजी में अग्रणी भूमिका निभाए।
द्विस्तरीय फंडिंग होगा ढांचा
पहली स्तर पर– अनुसंधान के लिए बनाए गए Anusandhan National Research Foundation (ANRF) के तहत एक Special Purpose Fund (SPF) स्थापित किया जाएगा, जो पूरे ₹1 लाख करोड़ का प्रबंधन करेगा।
दूसरी स्तर पर – प्रोफेशनल फंड मैनेजर इन फंड्स को विशिष्ट R&D परियोजनाओं में निवेश करेंगे। ये निवेश कम ब्याज वाले या ब्याज-मुक्त दीर्घकालिक ऋण या स्टार्टअप्स में इक्विटी निवेश के रूप में होंगे।
इसके अलावा सरकार Deep-Tech Fund of Funds जैसे निवेश पोर्टफोलियो में भी भागीदारी करेगी, जिससे नए इनोवेशन आधारित स्टार्टअप्स को प्रत्यक्ष पूंजी सहायता मिलेगी।
बजटीय प्रावधान और दीर्घकालिक असर
RDI स्कीम की घोषणा वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में की गई थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को अपने बजट भाषण में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (DST) के लिए ₹20,000 करोड़ का आवंटन किया था।
DST का बजट 2014 में ₹2,777 करोड़ से बढ़कर FY26 में ₹28,509 करोड़ हो गया है। भारत में R&D पर कुल खर्च ₹60,196 करोड़ (2014) से बढ़कर FY26 में ₹1.27 लाख करोड़ तक पहुंच गया है।