केंद्रीय कैबिनेट ने मंगलवार को रोज़गार लिंक्ड इंसेंटिव (ELI) योजना को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी सृजन, कौशल वृद्धि, और सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देना है, खासकर निर्माण क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया गया है।
इस योजना के तहत 2025 से 2027 तक 35 मिलियन नौकरियां सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है और इसके लिए ₹99,446 करोड़ का खर्च किया जाएगा। इस योजना का ऐलान 2024-25 के केंद्रीय बजट में किया गया था।
योजना के मुख्य बिंदु:
- पहली बार नौकरी करने वाले कर्मचारियों के लिए यह योजना खास है, जिसमें करीब 19 मिलियन कर्मचारी पहली बार औपचारिक कामकाजी क्षेत्र में कदम रखेंगे।
- नई भर्ती किए गए कर्मचारियों को एक महीने के EPF वेतन (₹15,000 तक) के रूप में दो किश्तों में इंसेंटिव मिलेगा। पहली किश्त 6 महीने बाद और दूसरी किश्त 12 महीने बाद, जब कर्मचारी वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम पूरा करेगा, दी जाएगी।
नियोक्ता को मिलेगा लाभ:
- नियोक्ताओं को अतिरिक्त कर्मचारियों को रोजगार देने पर दो साल के लिए इंसेंटिव मिलेगा। निर्माण क्षेत्र में यह लाभ चार साल तक मिलेगा।
- नियोक्ता को ₹1,000 से ₹3,000 तक प्रति माह प्रति अतिरिक्त कर्मचारी इंसेंटिव मिलेगा, जो कर्मचारी के EPF वेतन पर निर्भर करेगा। इसके तहत, नियोक्ता को कम से कम 2 अतिरिक्त कर्मचारी (50 से कम कर्मचारियों वाले संस्थानों के लिए) या 5 अतिरिक्त कर्मचारी (50 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले संस्थानों के लिए) रखने होंगे, और उन्हें कम से कम 6 महीने तक रोजगार में बनाए रखना होगा।
योजना का प्रभाव:
इस योजना के माध्यम से सरकार का अनुमान है कि लगभग 26 मिलियन नौकरियों का सृजन होगा। यह नई नौकरी में प्रवेश करने वाले लाखों लोगों के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा, खासकर युवाओं और महिलाओं के लिए।
केंद्रीय सरकार का मानना है कि इस योजना के जरिए निर्माण क्षेत्र और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों का विस्तार होगा, जो भारत की आर्थिक वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा।