देश भर में इन दिनों दुकानों के नाम बदलकर व्यापार करने के मामलों को लेकर बहस तेज हो गई है। इसी क्रम में एक ताज़ा मामला उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा पर स्थित नारसन क्षेत्र में सामने आया है, जहां ‘गुप्ता चाट भंडार’ नाम की दुकान में गुलफाम नामक व्यक्ति अपनी चाय-बिस्किट की दुकान चला रहा था।

मामला उस वक्त सामने आया जब मुजफ्फरनगर के विवादित संत और योग साधना आश्रम के महंत स्वामी यशवीर शुक्रवार को भगवान वराह की तस्वीरें हरिद्वार में बांटने के लिए निकले थे। लेकिन यूपी-उत्तराखंड बॉर्डर पर नारसन चौकी के पास पुलिस ने उन्हें रोक लिया। बाद में आसपास की कुछ दुकानों पर तस्वीरें बांटने की अनुमति दी गई।

एक मीडिया टीम की पड़ताल में हुआ खुलासा

मुजफ्फरनगर में पत्रकारों ने पड़ताल के लिए पास की ‘गुप्ता चाट भंडार’ नामक दुकान का रुख किया, जहां चौंकाने वाला खुलासा हुआ। यहां एक ही नाम से दो दुकानें चल रही थीं—एक चाट की दुकान और दूसरी चाय-बिस्किट की। दोनों के बाहर ‘गुप्ता चाट भंडार’ का ही बोर्ड लगा था। जब टीम ने पहली दुकान (चाट वाली) पर पेमेंट के लिए QR कोड स्कैन किया तो नाम ‘अशोक कुमार’ निकला, लेकिन बगल की चाय-बिस्किट दुकान के QR कोड पर नाम ‘गुलफाम’ सामने आया।

QR कोड हटाया, जवाब देने से बचते रहे संचालक

जब आसपास के लोगों से गुलफाम के बारे में पूछताछ की गई, तो वह मौके से गायब पाया गया। सह-संचालक अनिल कुमार से जब सवाल किया गया तो उन्होंने गुलफाम को सिर्फ एक कर्मचारी बताया। लेकिन QR कोड में नाम गुलफाम का आने पर जवाब देने से बचते रहे। कुछ ही देर में दुकान में लगा वह QR कोड भी हटा दिया गया।

दुकान मालिक ने माना गुलफाम है किरायेदार

थोड़ी देर में खुद को दुकान मालिक बताने वाले अशोक कुमार वहां पहुंचे और उन्होंने स्वीकार किया कि गुलफाम ही चाय-बिस्किट की दुकान का असली संचालक है और वह हर महीने 12 हजार रुपये किराया देता है। उन्होंने यह भी बताया कि गुलफाम को अपने नाम का बोर्ड लगाने को कहा गया था, लेकिन उसने बोर्ड नहीं बदला।

पुलिस की कार्रवाई: QR कोड जब्त, अशोक कुमार हिरासत में

घटना की सूचना मिलते ही नारसन पुलिस मौके पर पहुंची और दुकान की तलाशी ली। गुलफाम के नाम वाले दो QR कोड जब्त कर लिए गए। इसके बाद पुलिस ने अशोक कुमार से पूछताछ की और आखिरकार उसे हिरासत में ले लिया। वहीं गुलफाम मौके से फरार हो गया और पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सका।

बड़ा सवाल: क्या नाम बदलकर व्यापार उपभोक्ता के साथ धोखा नहीं?

यह मामला सिर्फ एक दुकान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर सवाल को जन्म देता है—क्या पहचान छुपाकर या भ्रामक नामों से व्यापार करना उपभोक्ता को गुमराह करना नहीं है? क्या यह कानूनी रूप से अपराध नहीं होना चाहिए?

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