Stress Test: क्या आपको भी ऐसा लगता है कि आजकल आप बेवजह थका हुआ महसूस करते हैं, नींद नहीं आती या पेट में गड़बड़ रहती है? अगर हां, तो यह सिर्फ ‘आजकल ऐसा ही होता है’ कहकर टालने की बात नहीं है।
आजकल की मॉडर्न लाइफस्टाइल में स्ट्रेस एक ऐसी अदृश्य बीमारी बन गया है, जो धीरे-धीरे हमारे शरीर को अंदर से खोखला कर रही है। और यह सिर्फ दिमाग पर नहीं, बल्कि शरीर के हर हिस्से पर गहरा असर डालता है। यह छिपा हुआ खतरा सिर्फ मानसिक समस्याओं से जुड़ा नहीं है; बल्कि, यह आपके डाइजेशन से लेकर आपकी इम्यूनिटी और नींद पर भी असर डाल सकता है।
स्ट्रेस का शरीर पर असर
हम अक्सर सोचते हैं कि स्ट्रेस सिर्फ मानसिक होता है, यानी हमारी सोच, मूड और याददाश्त पर इसका असर पड़ता है। लेकिन असल में, जब स्ट्रेस हार्मोन जैसे कि कॉर्टिसोल हमारे शरीर में लंबे समय तक बढ़े रहते हैं, तो वे हमारे डाइजेशन सिस्टम, इम्यूनिटी, नींद, और यहां तक कि आंतों में मौजूद गुड बैक्टीरिया पर भी प्रतिकूल असर डाल सकते हैं।
“पेट ही सारे रोगों की जड़ है”….. यह पुरानी कहावत स्ट्रेस पर भी लागू होती है। लगातार तनाव से पेट में सूजन, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS), और पोषक तत्वों का सही से अवशोषण न होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह सब मिलकर हमें अंदर से कमजोर और बीमार बना सकता है।

2 खास टेस्ट जो बताएंगे सच्चाई
अब सवाल यह है कि हमें यह कैसे पता चलेगा कि स्ट्रेस हमारे शरीर पर कितना गहरा असर डाल रहा है? डॉक्टर्स मानते हैं कि दो खास टेस्ट हमें इस छिपे हुए खतरे का खुलासा कर सकते हैं…..

1. गट माइक्रोबायोम टेस्ट (Gut Microbiome Test)
यह टेस्ट आपकी आंतों में मौजूद बैक्टीरिया के संतुलन को जानने में मदद करता है। हमारी आंतों में लाखों बैक्टीरिया होते हैं, जिनमें से कुछ गुड (फायदेमंद) और कुछ बैड (हानिकारक) होते हैं। जब हम तनाव में होते हैं, तो अच्छा बैक्टीरिया घटने लगता है और बुरा बैक्टीरिया बढ़ने लगता है।
यह असंतुलन न केवल पेट की समस्याओं का कारण बनता है, बल्कि यह मूड स्विंग्स, थकान और इम्यूनिटी की कमजोरी जैसी समस्याओं को भी जन्म दे सकता है। गट माइक्रोबायोम टेस्ट से पता चलता है कि आपकी आंतों की दुनिया कितनी स्वस्थ है।

2. कॉर्टिसोल टेस्ट (Cortisol Test)
कॉर्टिसोल को ‘स्ट्रेस हार्मोन’ कहा जाता है। यह शरीर को संकट की स्थिति में ऊर्जा और फोकस देने के लिए कार्य करता है। लेकिन जब यह हार्मोन लंबे समय तक असामान्य रूप से बढ़ा रहता है, जो कि क्रोनिक स्ट्रेस के कारण हो सकता है… तो यह शरीर के लिए हानिकारक हो जाता है। बढ़ा हुआ कॉर्टिसोल वजन बढ़ाने, नींद की समस्या, ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव, और हड्डियों के कमजोर होने जैसी समस्याओं से जुड़ा है।
यह टेस्ट ब्लड या लार के नमूने से किया जा सकता है और यह दिन के विभिन्न समयों में कॉर्टिसोल के स्तर को मापता है, ताकि यह पता चल सके कि आपका शरीर किस तरह से स्ट्रेस को सहन कर रहा है।

क्यों ये टेस्ट जरूरी हैं?
हम अक्सर अपने शरीर के संकेतों को नजरअंदाज कर देते हैं, जैसे थकान, मूड स्विंग्स, या पेट की समस्या। लेकिन अगर हम सही समय पर इन समस्याओं की जड़ को पहचान लें, तो हम इनसे निपटने के लिए बेहतर तरीके अपना सकते हैं। गट माइक्रोबायोम और कॉर्टिसोल टेस्ट से हमें यह जानने का मौका मिलता है कि स्ट्रेस हमारे शरीर पर किस हद तक असर डाल चुका है और क्या हमें इसे कंट्रोल करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है।

आपका शरीर स्ट्रेस से जूझ रहा!
स्ट्रेस को नजरअंदाज करना आपके शरीर के लिए महंगा पड़ सकता है। आजकल की तेज़-तर्रार लाइफस्टाइल में स्ट्रेस एक सामान्य बात बन चुकी है, लेकिन इसके लंबे समय तक प्रभाव शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं। अगर आप महसूस करते हैं कि आप लगातार थका हुआ महसूस कर रहे हैं, नींद नहीं आ रही है, या पेट में गड़बड़ हो रही है, तो ये संकेत हो सकते हैं कि आपका शरीर स्ट्रेस से जूझ रहा है।
गट माइक्रोबायोम और कॉर्टिसोल टेस्ट आपके लिए एक शुरुआती कदम हो सकते हैं, जो आपको अपनी सेहत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकते हैं।

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य शिक्षा और जागरूकता के उद्देश्य से है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या या स्थिति के लिए हमेशा किसी योग्य चिकित्सक या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लें।