Modi Government Opposition Attack. मोदी सरकार पर विपक्ष की घेराबंदी तेज होती जा रही है। कन्नौज में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार को खुली चुनौती दी है। विपक्ष की यह नई रणनीति अब सियासत के अखाड़े में जोर-शोर से देखी जा रही है।
कन्नौज से शुरू हुआ विपक्ष का हमला अब दिल्ली तक पहुंच चुका है, जहां राहुल गांधी ने बड़े जोश के साथ ऐलान किया कि मोदी सरकार को हटाने का वक्त आ चुका है। उन्होंने नरेंद्र मोदी पर सीधे निशाना साधते हुए कहा कि मोदी का केवल भौकाल है, उनसे तीन-चार बार मुलाकात की, पर उनमें दम नहीं है। वहीं, कन्नौज में अखिलेश यादव भी उसी तर्ज पर मोदी सरकार को घेरते हुए डबल इंजन के नारे को चुनौती दे रहे हैं। कन्नौज में उनके काफिले के सामने एक सांड आ गया, जिसे उन्होंने राजनीतिक मुद्दा बनाया, जो विपक्ष की ताजगी को दर्शाता है।
विपक्ष की ताकत को इस बात से समझा जा सकता है कि 37 सीटों के साथ राहुल गांधी फिलहाल विपक्ष की अगुआई कर रहे हैं, और इसी बीच सपा के 37 सीटों के साथ उनका समर्थन मिल रहा है। यह पहली बार है जब विपक्ष में इतनी एकजुटता नजर आ रही है। भाजपा के 11 सालों में यह विपक्ष का सबसे बड़ा और संगठित स्वरूप है। बिहार चुनाव में एसआईआर मुद्दा विपक्ष के लिए बड़ा हथियार साबित हुआ है, जिसने भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर दी है।
राहुल गांधी की नई रणनीति का केंद्र एसआईआर मुद्दा है, जिससे भाजपा को काफी नुकसान हुआ है। इसी बीच सोनिया गांधी भी विपक्ष की इस लड़ाई में सक्रिय हो गई हैं। तालकटोरा स्टेडियम में राहुल गांधी ने साफ कहा कि कांग्रेस सरकार में जातिगत जनगणना नहीं करवाना उनकी गलती थी, और यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। माना जा रहा है कि भाजपा के लिए यह बयान भारी पड़ सकता है। इस बीच विपक्ष की एकता का असर भाजपा के संगठन पर भी पड़ा है, जो लंबे समय से अपना नया अध्यक्ष नियुक्त नहीं कर पाई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी और अखिलेश यादव की दोस्ती और गठजोड़ ने भाजपा के लिए नई चुनौतियां पैदा कर दी हैं। दोनों की जोड़ी की यह बढ़ती दोस्ती तस्वीरों और सार्वजनिक कार्यक्रमों में साफ दिख रही है। हालांकि भाजपा नेता इसे विपक्ष का सपना बताते हुए इसे हवा-हवाई करार दे रहे हैं।
फिलहाल विपक्षी गठबंधन मोदी सरकार के खिलाफ अपनी ताकत दिखा रहा है और आने वाले समय में सियासी रणभूमि में उनके हमले और तेज होने की संभावना बनी हुई है।