22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की हत्या के बाद भारत ने जिस सटीकता और संकल्प के साथ ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, उसने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को गहरी चोट पहुंचाई। लेकिन इससे भी आगे जाकर भारत ने वैश्विक स्तर पर एक कूटनीतिक मुहिम छेड़ दी, जिसने पाकिस्तान के झूठे प्रचार को पूरी तरह बेनकाब कर दिया।
भारत सरकार ने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों के माध्यम से 59 सांसदों और पूर्व राजनयिकों को 33 वैश्विक राजधानियों में भेजा। इस अभियान का मकसद था भारत की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति को दुनिया के सामने रखना और पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर अलग-थलग करना।
इस अभियान में शशि थरूर, असदुद्दीन ओवैसी, अभिषेक बनर्जी, रविशंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा और श्रीकांत शिंदे जैसे नेताओं की भूमिकाएं विशेष रूप से उल्लेखनीय रही हैं। थरूर ने अमेरिका, ब्राज़ील, कोलंबिया जैसे देशों में भारत की नीति को प्रभावी ढंग से रखा, जबकि ओवैसी ने मुस्लिम बहुल देशों में पाकिस्तान की झूठी कहानियों का पर्दाफाश किया। जापान में अभिषेक बनर्जी ने बताया कि कैसे भारत ने आतंक के ढांचों को निशाना बनाकर निर्दोष नागरिकों को नुकसान से बचाया।
इसके विपरीत जयराम रमेश और संजय राउत जैसे नेता इस प्रयास को “लोकलुभावन फोटो ऑप” और “राजनीतिक पर्यटन” कहकर आलोचना कर रहे हैं। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह आलोचना न केवल अपरिपक्व है, बल्कि भारत की सुरक्षा और रणनीतिक हितों को नुकसान पहुंचा सकती है।
जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वेडेफुल ने भारत की आत्मरक्षा के अधिकार को समर्थन देते हुए कहा, “आतंकवाद के लिए आधुनिक दुनिया में कोई स्थान नहीं है, और भारत की कार्रवाई जायज है।” यूएई की संसद के रक्षा मामलों की समिति के अध्यक्ष अली राशिद अल न्यूमी ने भी भारत के साथ एकजुटता दिखाई।
जापान, रूस, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, सिंगापुर जैसे देशों से भी भारत को समर्थन मिला है। अफ्रीकी देशों जैसे लाइबेरिया और सिएरा लियोन ने भी भारत की स्थिति को समझा है।
यह कूटनीतिक सफलता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी नीति और निर्णायक नेतृत्व की एक और मिसाल है। ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद की यह वैश्विक कूटनीतिक रणनीति भारत को आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक और वैश्विक नेतृत्वकर्ता राष्ट्र के रूप में स्थापित करती है।