नई दिल्ली — पाकिस्तान को विफल राष्ट्र और वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहना अब सिर्फ बयान नहीं, सच्चाई है। दशकों से पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों को पालने-पोसने, प्रशिक्षण देने और फंडिंग करने का काम किया है। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में निर्दोषों पर हमले इसी “आतंकिस्तान” की उपज हैं।

भारत पर सबसे बड़ा हमला 2008 में 26/11 के रूप में हुआ, जिसमें पाकिस्तान आधारित आतंकियों ने मुंबई को निशाना बनाया। मोदी सरकार के कार्यकाल में उरी (2016), पुलवामा (2019) और हाल ही में पहलगाम (2025) जैसे हमलों में पाकिस्तान की भूमिका स्पष्ट रही।

उरी हमले के बाद भारतीय सेना ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की, वहीं पुलवामा के बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक हुई। अब, पहलगाम में 26 निर्दोषों की हत्या के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए जवाब दिया — एक निर्णायक सैन्य और कूटनीतिक कार्रवाई।

प्रधानमंत्री मोदी ने 12 मई को देश को संबोधित करते हुए तीन स्तंभों वाली नई आतंकवाद-रोधी नीति घोषित की:

  1. आतंक पर जीरो टॉलरेंस
  2. परमाणु ब्लैकमेल स्वीकार नहीं
  3. आतंकी और उनके प्रायोजकों को समान लक्ष्य माना जाएगा

पाकिस्तान की सेना, ISI और आतंकी संगठनों की साठगांठ को अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों, FATF की ग्रे लिस्टिंग और खुद पाक नेताओं की स्वीकारोक्तियों ने उजागर किया है। लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों को पाकिस्तान से खुला समर्थन मिलता है।

ऑपरेशन सिंदूर भारत की नई रणनीतिक सोच का प्रतीक है—अब हर आतंकी हमले का जवाब उसी भाषा में दिया जाएगा।

'खरगे जी सठिया गए है मानसिक स्तिथि ठीक नहीं' Dinesh Pratap Singh का बड़ा बयान, भड़के कांग्रेसी!

शेयर करना
Exit mobile version