उत्तर प्रदेश के किसान सब्जी और फलों की खेती से बाग बाग होंगे। इसके लिए योगी सरकार का फोकस इनका रकबा (एरिया), उत्पादन, तैयार उत्पाद की गुणवत्ता और मूल्य संवर्धन के लिए प्रसंस्करण को बढ़ाने पर है। इसके लिए योगी-02 शुरुआत में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभागीय समीक्षा बैठक के दौरान लक्ष्य तय कर दिए थे। लक्ष्य के मुताबिक 2027 तक बागवानी फसलों का क्षेत्रफल 11.6 से बढ़कर 16 फीसद करने का था। इसी क्रम में प्रसंस्करण का लक्ष्य 6 फीसद से बढ़ाकर 20 फीसद तक करना था। इसके लिए सरकार ने मेगा प्रसंस्करण इकाइयों को प्रोत्साहन एवं इनके लिए बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए 11000 करोड़ रुपए के निवेश का लक्ष्य रखा था।

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन (पीएमएफएमई) योजना की मदद से ये काम लगातार जारी भी है। बागवानी की फसलों के लिए इनमें निरंतर नमी बनाए रखना जरूरी है। कम पानी में अधिक उपज पाने के लिए इनकी खेती में पानी की अहमियत के मद्देनजर सरकार सिंचाई की अपेक्षाकृत दक्ष विधाओं ड्रिप एवं स्प्रिंकलर को लगातार प्रोत्साहन दे रही है। प्रोत्साहन के साथ इन पर किसानों को भारी भरकम अनुदान भी दिए है। फिलहाल इन विधाओं से सिंचित रकबे का विस्तार योगी सरकार के पहले कार्यकाल तक सिर्फ 2.64 फीसद था। इसे 2027 तक 9 फीसद तक (10 लाख हेक्टेयर) तक करने का लक्ष्य है। समग्रता में यह करीब 495000 हेक्टेयर होगा।

सिंचित रकबे के विस्तार के साथ उपज और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने में उन्नत प्रजाति के निरोग पौधों की उपलब्धता सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है, इसीलिए सरकार अलग-अलग फलों एवं सब्जियों के लिए हर जिले में दो-दो सेंटर फॉर एक्सीलेंस की स्थापना भी कर रही है। इजराइल और नीदरलैंड की मदद से लग चुके या प्रस्तावित सेंटर फॉर एक्सीलेंस की भी इनमें महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

बागवानी फसलों की संरक्षित खेती को भी प्रोत्साहन
संरक्षित खेती (ऐसी खेती या नर्सरी, जिसे पॉली हाउस/शेड नेट में नियंत्रित तापमान और नमी के जरिए बारहों महीने किया जा सकता है) पर भी योगी सरकार का खासा फोकस है। सरकार की मंशा 500 हेक्टेयर पर पॉली हाउस/ शेड नेट के विस्तार की है। सरकार इस पर किसानों को अनुदान भी देती है। सारी क्रिया नियंत्रित स्थिति में होने के कारण इनमें तैयार उत्पाद या नर्सरी की गुणवत्ता बेहतर होती है। इनमें बेमौसम भी फसल ले सकते हैं। ऐसी फसलों के दाम भी अच्छे मिलते हैं। लिहाजा प्रगतिशील किसान खासकर जो बड़े शहरों के पास हैं। उनकी संरक्षित खेती में खासी रुचि भी ले रहे।

फसल विविधीकरण के लिए प्रशिक्षण पर भी जोर
धान एवं गेहूं की एकल फसल हरदम से अधिक जोखिम वाली खेती रही है। ग्लोबल वार्मिंग के नाते मौसम की बढ़ी अप्रत्याशिता के कारण यह जोखिम और बढ़ गया है। ऐसे में कृषि विविधीकरण (क्रॉप डायवर्सिफिकेशन) समय की मांग है। बाजार की मांग के अनुसार खेती के लिए किसानों को मशरुम, मधुमक्खी पालन और अन्य फलों एवं सब्जियों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन देने के साथ उनको प्रशिक्षण देती है। देखकर सीखने के लिए उनकी रुचि के अनुसार संबंधित क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे संस्थानों की विजिट भी कराती है। सरकार का लक्ष्य इस योजना के तहत 2027 तक दो लाख दस हजार किसानों को ट्रेनिंग दिलाने का है।

इन फलों और सब्जियों के उत्पादन में देश में नंबर वन है यूपी
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश आम, अमरूद, आंवला, आलू, मटर, लता वर्गीय एवं गोभी वर्गीय सब्जियों के उत्पादन में देश में पहले नंबर पर है। इसी क्रम में लता वर्गीय और गोभी वर्गीय सब्जियों के उत्पादकता के मामले में भी यूपी देश में पहले नंबर पर है। बाकी फसलों में दूसरे राज्यों की उत्पादकता यूपी से आगे है। ऐसे में तकनीक का समावेश कर इनमें उत्पादकता और बढ़ाने की पूरी गुंजाइश है। अलग अलग सब्जियों एवं फलों के लिए सेंटर फॉर एक्सीलेंस बनाने के पीछे योगी सरकार की यही मंशा भी है।

Operation Sindoor: वो 90 मिनट जिसने पाकिस्तान के 8 एयर बेस को खंडहर में बदला !

शेयर करना
Exit mobile version