कक्षा 10 के छात्र ने लीक हुए एमपी सिविल सेवा परीक्षा के प्रश्नपत्र बेचने के बहाने अभ्यर्थियों को ठगा
मध्य प्रदेश सिविल सेवा परीक्षा (प्रारंभिक) के “लीक” प्रश्नपत्र बेचने के बहाने किए गए साइबर अपराध की जांच कर रही पुलिस उस समय हैरान रह गई, जब संदिग्ध एक 10वीं कक्षा का छात्र निकला, जिसने यूट्यूब से धोखाधड़ी के हुनर सीखे थे और महंगे कपड़े और जूते खरीदना चाहता था।
इंदौर के एक पुलिस अधिकारी ने सोमवार को बताया कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि राजस्थान के इस छात्र ने स्टाइलिश कपड़े और जूते खरीदने और पॉश रेस्तरां में खाना खाने जैसी अपनी महंगी इच्छाओं को पूरा करने के लिए तेजी से पैसा कमाने के लिए नौकरी चाहने वालों को ठगने का फैसला किया।
उन्होंने बताया कि छात्र ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) का पेपर बेचने के बहाने भी कथित तौर पर धोखाधड़ी की थी।
सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) तुषार सिंह ने बताया कि झुंझुनू जिले के छात्र ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टेलीग्राम पर एक चैनल बनाया है। उसने दावा किया कि उसे प्रारंभिक दौर के पेपर मिल गए हैं। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) परीक्षा के लिए 23 जून को आयोजित परीक्षा के लिए उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों में से 100 उम्मीदवारों को 2,500 रुपये प्रति उम्मीदवार की दर से बेचने की पेशकश की गई।
सिंह ने कहा कि यूपीआई के जरिए भुगतान के लिए टेलीग्राम चैनल पर एक क्यूआर कोड उपलब्ध कराया गया था।
अधिकारी ने बताया, “जैसे ही कोई व्यक्ति राज्य सेवा परीक्षा के प्रश्नपत्र पाने के लालच में इस क्यूआर कोड के जरिए भुगतान करता था, छात्र उस खरीदार का मोबाइल नंबर ब्लॉक कर देता था। धोखाधड़ी के इस तरीके से छात्र ने दो से चार अभ्यर्थियों को ठगा है।”
उन्होंने कहा कि छात्र के पास राज्य सेवा परीक्षा का कोई भी पेपर नहीं था और उसने झूठा दावा किया कि अभ्यर्थियों को धोखा देने के लिए पेपर लीक किया गया था।
एसीपी ने कहा, “छात्र का कहना है कि उसने यूट्यूब पर ऑनलाइन धोखाधड़ी के गुर सीखे। ठगी के पैसों से वह महंगे कपड़े और जूते खरीदना चाहता था और साथ ही महंगे रेस्टोरेंट में खाने का शौक भी पूरा करना चाहता था।”
उन्होंने बताया कि छात्र को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत नोटिस जारी किया गया है और धोखाधड़ी मामले की विस्तृत जांच चल रही है।
एसीपी ने बताया कि छात्र ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) का पेपर बेचने के बहाने भी कथित तौर पर धोखाधड़ी की थी और मामले की जांच राजस्थान पुलिस की मदद से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है।