कृषि मंत्रालय ने मंगलवार को पहला अग्रिम अनुमान जारी करते हुए कहा कि भारत का फूड ग्रेन प्रोडक्शन 2024-25 के खरीफ सीजन में 164.7 मिलियन टन के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचने की संभावना है, जो पिछले साल की तुलना में 5.4% अधिक होगा। ये ग्रामीण अर्थव्यवस्था और खपत के लिए अच्छा संकेत भी है, साथ ही किसानों की आय में भी सुधार हो सकता है। सामान्य से अधिक बारिश और अच्छे जलाशय स्तर के कारण, रबी फसल की बुवाई, जो अभी शुरू हुई है, भी अच्छी होने की उम्मीद है। इस साल उच्च अनाज उत्पादन से कृषि और संबंधित क्षेत्रों में ग्रौस वैल्यू में बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन ग्रामीण आय का स्तर किसानों को मिलने वाली कीमतों पर निर्भर करेगा।

कुछ वर्षों तक मजबूत रहने के बाद, कृषि क्षेत्र में ग्रोस वैल्यू की वृद्धि 2023-24 में घटकर केवल 1.4% रह गई। FY- 25 पहली तिमाही 2024-25 में कृषि अर्थव्यवस्था में पिछले साल की तिमाही के 3.7% की तुलना में 2% की वृद्धि हुई। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि इस वित्तीय वर्ष में कृषि क्षेत्र की ग्रोस वैल्यू की वृद्धि 3-3.2% के बीच रहेगी। कृषि ग्रौस वैल्यू में फसल क्षेत्र की हिस्सेदारी लगभग 55% है, जबकि पशुधन क्षेत्र का योगदान 30% है। भारत का चावल उत्पादन, जो सबसे बड़ी खरीफ फसल है, 2024-25 खरीफ सीजन में रिकॉर्ड 119.93 मिलियन टन तक पहुंचने की संभावना है, जो पिछले साल से 5.5% ज्यादा होगा, मंत्रालय ने बताया।

चावल के लिए रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान ऐसे समय में आया है जब सरकार के पास केंद्रीय पूल में भारी अधिशेष स्टॉक है, जो बफर से तीन गुना अधिक है।
देश के वार्षिक उत्पादन में 85% से अधिक योगदान देने वाले धान की कटाई वर्तमान में पूरे देश में चल रही है और मार्च, 2025 तक जारी रहेगी। मोटे अनाजों में, मक्का का उत्पादन 2024-25 खरीफ सीजन (जुलाई-जून) के लिए 24.54 मीट्रिक टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर रहने का अनुमान है, जो पिछले साल की तुलना में 10% अधिक है। ज्वार का उत्पादन 2.19 मीट्रिक टन अधिक होने का अनुमान है, जबकि बाजरा का उत्पादन घटकर 9.37 मीट्रिक टन रहने की संभावना है। दलहन – अरहर, उड़द और मूंग का उत्पादन 6.97 मीट्रिक टन की तुलना में 6.95 मीट्रिक टन पर लगभग स्थिर रहने की उम्मीद है, जबकि तिलहन का उत्पादन 24.16 मीट्रिक टन से बढ़कर 25.74 मीट्रिक टन होने की संभावना है।

भारत में घरेलू दाल और तिलहन उत्पादन में भारी कमी आई है, जिसके कारण देश को अपने खाद्य तेल का लगभग 58% और दालों का 15% आयात करना पड़ता है। इसके अलावा, नकदी फसलों जैसे गन्ने, कपास और जूट का उत्पादन भी कम होने का अनुमान है। गन्ने का उत्पादन पिछले साल के 453.15 मिलियन टन से घटकर 439.93 मिलियन टन होने का अनुमान है। कपास का उत्पादन 32.52 मिलियन गांठ से घटकर 29.92 मिलियन गांठ (170 किलोग्राम प्रति गांठ) होने की संभावना है, जबकि जूट का उत्पादन 9.69 मिलियन गांठ से घटकर 8.45 मिलियन गांठ (180 किलोग्राम प्रति गांठ) रह सकता है।

अब, पहली बार कृषि मंत्रालय ने डिजिटल कृषि मिशन के तहत डिजिटल फसल सर्वेक्षण (DCS) का उपयोग करके फसल क्षेत्र का अनुमान तैयार किया है। यह मैनुअल गिरदावरी की जगह लेगा। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, डिजिटल फसल सर्वेक्षण ने खरीफ 2024 में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और ओडिशा के सभी जिलों को कवर किया है, जिससे “विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में चावल की खेती में पर्याप्त वृद्धि” देखने को मिली है।

कृषि मंत्रालय हर साल चार बार खाद्यान्न, तिलहन, कपास, गन्ना और जूट के उत्पादन का अनुमान जारी करता है। अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल फसल सर्वेक्षण से भविष्य में अधिक सटीक उत्पादन अनुमान लगाने में मदद मिलेगी। इस सीजन में धान की खेती का क्षेत्रफल 41.35 मिलियन हेक्टेयर था, जो पिछले साल से 2.2% ज्यादा है।

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