इलाहबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया है। जिसके तहत अब सीबीआई को देश के बाहर किसी नागरिक द्वारा किये गए अपराध की जांच के लिए राज्य सरकार की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। यह फैसला हाई कोर्ट की तरफ से मेरठ जिले में हुए एक मामले में सुनाया है। जिसमें हाई कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को किसी भारतीय नागरिक द्वारा देश के बाहर किए गए अपराध की जांच के लिए दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम 1946 की धारा 6 के तहत राज्य सरकार की सहमति लेने की आवश्यकता नहीं है। ऐसे मामलों में केवल केंद्र सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
न्यायमूर्ति ने सुनाया फैसला
न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने कहा कि डीएसपीई अधिनियम की धारा 6 के अनुसार राज्य सरकार के किसी भी क्षेत्र में जांच के लिए राज्य सरकार की सहमति आवश्यक है। फिर भी, यदि किसी भारतीय नागरिक द्वारा भारत के बाहर किए गए अपराध की जांच की जानी है, तो राज्य सरकार की सहमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। इस संबंध में, न्यायालय ने केंद्रीय कार्मिक एवं लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) द्वारा मई 2016 में जारी अधिसूचना का भी हवाला दिया, जिसमें सीबीआई को गृह मंत्रालय से अभियोजन के लिए मंजूरी प्राप्त करने और उससे निपटने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया था। खंडपीठ ने निष्कर्ष निकाला कि यदि भारत के बाहर कोई अपराध किया जाता है, तो केवल सीबीआई ही जांच कर सकती है, और ऐसे मामलों में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है।
इस मामले हुई सुनवाई
न्यायालय ने ये टिप्पणियां कल्पना माहेश्वरी द्वारा दायर आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए कीं, जिसमें उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) में अपनी बेटी की मौत की सीबीआई जांच की मांग की थी। न्यायालय ने सीबीआई और प्रतिवादी नंबर 3- सचिव, गृह मंत्रालय को निर्देश दिया कि वे हाईकोर्ट के आदेश की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करने की तारीख से 15 दिनों की अवधि के भीतर आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करके याचिकाकर्ता (प्रथम सूचनाकर्ता) की बेटी की मौत की जांच करें।