प्रयागराज/नोएडा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिश्वत और भ्रष्टाचार के आरोपों में बर्खास्त किए गए दरोगा प्रदीप कुमार गौतम को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने बिना विभागीय जांच के की गई बर्खास्तगी को अवैध करार देते हुए उसे बहाल करने का आदेश दिया है।

दरअसल, दरोगा प्रदीप कुमार गौतम, गोलचक्कर चौकी प्रभारी, थाना फेस-1, नोएडा के पद पर तैनात थे। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक व्यक्ति अपनी जेब से पैसे निकालकर दरोगा को देता दिख रहा था। इसी वीडियो के आधार पर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7/13 में एफआईआर दर्ज की गई थी और 5 अप्रैल 2025 को उन्हें तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया था।

हाईकोर्ट की जस्टिस अजित कुमार की सिंगल बेंच ने यह कहते हुए बर्खास्तगी को रद्द किया कि -“उत्तर प्रदेश अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों की (दंड एवं अपील) नियमावली, 1991 के तहत नियम 8(2)(बी) के अनुसार, पर्याप्त साक्ष्य होने के बावजूद भी विभागीय जांच करना अनिवार्य है। बिना जांच के बर्खास्तगी कानून और सेवा नियमों के खिलाफ है।”

याची के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम और अतिप्रिया गौतम ने कोर्ट में तर्क दिया कि वायरल वीडियो में रिश्वत का लेना साबित नहीं होता और कोई प्रत्यक्ष प्रमाण या वसूली भी नहीं हुई है। यह भी कहा गया कि याची को झूठे षड्यंत्र में फंसाया गया है।

कोर्ट के फैसले से पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हुए हैं, विशेषकर इस बात को लेकर कि बिना विभागीय कार्यवाही किसी कर्मी को सीधे बर्खास्त करना पुलिस सेवा नियमों के अनुरूप नहीं है।

🔹 प्रमुख बिंदु:
दरोगा प्रदीप कुमार गौतम की बर्खास्तगी रद्द

कोर्ट ने कहा “बिना विभागीय जांच बर्खास्तगी अवैध”

वायरल वीडियो में रिश्वत का स्पष्ट प्रमाण नहीं

दरोगा को पुनः बहाल करने का आदेश

विभागीय कार्रवाई अब अनिवार्य रूप से होगी

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