Allahabad High Court : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रेम प्रसंग को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि यदि महिला जानती है कि सामाजिक या अन्य कारणों से शादी संभव नहीं है और इसके बावजूद लंबे समय तक सहमति से शारीरिक संबंध बनाती है, तो इसे दुष्कर्म (रेप) नहीं माना जाएगा।
यह आदेश महोबा के चरखारी इलाके से जुड़े एक मामले में आया है, जिसमें एक महिला ने अपने सहकर्मी लेखपाल पर शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाते हुए याचिका दाखिल की थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सहमति से बने संबंध को रेप नहीं माना जाएगा, और अगर महिला पहले से जानती है कि शादी या स्थायी संबंध संभव नहीं हैं, तो ऐसे मामलों में आरोपी पर दुष्कर्म का आरोप नहीं लगाया जा सकता। यह फैसला सामाजिक और कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सहमति और शादी की संभाव्यता के आधार पर शारीरिक संबंधों के दुष्कर्म दायरे को स्पष्ट करता है।