इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रायबरेली ज़िला अधिकारियों, विशेष रूप से संबंधित कलेक्टर को कड़ी फटकार लगाई है। यह कार्रवाई एक ऐसे मामले में हुई, जहां वैध पट्टा धारक के घर को गिराने का प्रयास किया गया, जबकि उसका दावा राजस्व अभिलेखों में विधिवत दर्ज था।
न्यायालय की पीठ, न्यायमूर्ति आलोक माथुर, ने कलेक्टर और उस अधिकारी को, जो राजस्व प्रविष्टियों में बदलाव के लिए जिम्मेदार था, व्यक्तिगत रूप से अपनी कार्रवाई का स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि जल्दबाजी में कार्रवाई करने पर जुर्माना लगाने पर भी विचार किया जा सकता है।
अदालत ने आश्चर्य व्यक्त किया कि किसी भी प्राधिकारी ने याचिकाकर्ता के पट्टे और राजस्व अभिलेखों की जांच नहीं की, जबकि दावा किया गया था कि भूमि गाँव-सभा की है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जब याचिकाकर्ता को भूमि प्रबंधन समिति द्वारा वैध पट्टा दिया गया था और यह राजस्व अभिलेख में दर्ज था, तो उसे अवैध कब्ज़ा करने वाला नहीं माना जा सकता।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रायबरेली कलेक्टर और संबंधित अधिकारी को दस दिनों के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और नोटिस जारी किया कि उनके आचरण के लिए अनुकरणीय जुर्माना क्यों न लगाया जाए। इस मामले को शीर्ष दस मामलों में 4 सितंबर को फिर से सूचीबद्ध किया जाएगा।