World’s Most Deadliest Pandemic: आज जब हम कोविड-19 की भयावहता को याद करते हैं, तो मन कांप उठता है। 2020 की वो तस्वीरें, अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी, मास्क में कैद जिंदगी और हर पल मौत का डर.. ये सब आज भी हमारी यादों में ताजा हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इतिहास में एक ऐसी महामारी भी आई थी, जिसने कोविड-19 से कहीं अधिक भयानक रूप धारण किया था? वो महामारी थी स्पेनिश फ्लू (Spanish Flu)।

पहली झलक: जब मौत हवा में थी…

यह वर्ष 1918 की बात है। प्रथम विश्व युद्ध समाप्ति की ओर था। दुनिया पहले ही तबाही झेल रही थी। इसी बीच एक अदृश्य दुश्मन ने दस्तक दी… स्पेनिश फ्लू। यह महामारी H1N1 वायरस के कारण फैली थी, जो एक प्रकार का इंफ्लुएंजा वायरस था। देखते ही देखते यह पूरी दुनिया में फैल गई और इंसानियत के इतिहास में सबसे काले अध्यायों में शामिल हो गई।

Pandemic impact

आंकड़ों में तबाही

स्पेनिश फ्लू से मरने वालों की संख्या 5 करोड़ से 10 करोड़ लोगों की मौत हुई। उस समय दुनिया की कुल आबादी लगभग 1.8 अरब थी, यानी करीब 3% से 5% आबादी ने जान गंवाई। कोविड-19 की तुलना में, जिसमें अब तक लगभग 70 लाख मौतें दर्ज की गई हैं, स्पेनिश फ्लू कहीं ज्यादा घातक साबित हुआ।

लक्षण और फैलाव

इस वायरस का सबसे खतरनाक पहलू था इसका अत्यधिक संक्रामक होना। लक्षण थे….तेज बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ और कभी-कभी शरीर का नीला पड़ जाना।

कई मामलों में तो मरीज को अंदाजा भी नहीं होता था कि उसे फ्लू हुआ है और कुछ ही दिनों में उसकी मौत हो जाती थी। अस्पतालों में जगह नहीं थी, दवाइयों की भारी कमी थी और लोग घरों में ही दम तोड़ रहे थे।

क्यों कहलाई ‘स्पेनिश फ्लू’?

इस वायरस की शुरुआत अमेरिका में मानी जाती है, लेकिन चूंकि उस समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था और अधिकांश देश सेंसरशिप में थे, इसलिए केवल स्पेन ने खुलकर इस बीमारी की रिपोर्टिंग की। इसी कारण इस महामारी को ‘स्पेनिश फ्लू’ नाम मिला, जबकि इसका स्पेन से कोई विशेष लेना-देना नहीं था।

चिकित्सा व्यवस्था और उस समय की मजबूरी

आज के आधुनिक मेडिकल सिस्टम की तुलना में उस समय स्वास्थ्य सेवाएं बेहद सीमित थीं… कोई वैक्सीन नहीं, कोई एंटीवायरल दवा नहीं, सार्वजनिक स्वास्थ्य जागरूकता ना के बराबर नतीजतन, वायरस का फैलाव रोका नहीं जा सका।

असर पूरी दुनिया पर

अमेरिका, भारत, यूरोप, एशिया कोई भी देश इस महामारी से नहीं बच पाया। भारत में भी लाखों मौतें हुईं, और कई क्षेत्रों में शवों को दफनाने के लिए ज़मीन कम पड़ गई थी। कई परिवार पूरी तरह उजड़ गए और जनसंख्या पर इसका स्थायी प्रभाव पड़ा।

एक सबक जो इतिहास ने दिया

स्पेनिश फ्लू हमें यह सिखाता है कि जब मानवता महामारी के सामने बेबस होती है, तब विज्ञान, सामाजिक सहयोग और सरकारी तैयारियां कितनी अहम होती हैं। अगर उस समय वैक्सीन, साफ-सफाई, और जनजागरूकता होती, तो शायद इतनी तबाही नहीं होती।

स्पेनिश फ्लू सिर्फ एक महामारी नहीं थी, यह एक वैश्विक आपदा थी जिसने हमें यह समझाया कि स्वास्थ्य प्रणाली और समय पर कार्रवाई किसी भी देश के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।

Disclaimer: ये आर्टिकल पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारियों पर आधारित है. भारत समाचार इन बातों की पुष्टि नहीं करता है.

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