नई दिल्ली — ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय रक्षा क्षेत्र में आई मजबूती ने शेयर बाजार में हलचल मचा दी है। 14 मई 2025 को भारत की घरेलू रक्षा कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त उछाल देखा गया। कोचीन शिपयार्ड, पारस डिफेंस, मझगांव डॉक, भारत डायनेमिक्स, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स जैसे शेयरों में 11% तक की तेजी दर्ज की गई।
इस तेजी की मुख्य वजह रही युद्ध में स्वदेशी तकनीक का प्रभावशाली प्रदर्शन। ड्रोन युद्ध, लेयर्ड एयर डिफेंस और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर जैसे अत्याधुनिक घरेलू सिस्टम्स ने भारत की सैन्य क्षमता को नए स्तर पर पहुंचाया। यह स्पष्ट संदेश सिर्फ उपमहाद्वीप ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गया है।
भारत की रक्षा निर्यात नीति भी तेजी से फल-फूल रही है। 2013-14 में जहां भारत के रक्षा निर्यात मात्र ₹686 करोड़ थे, वहीं 2024-25 में यह ₹23,622 करोड़ तक पहुंच गए। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया और PLI जैसी योजनाओं को इसका श्रेय दिया है।
अब भारत का लक्ष्य 2029 तक सालाना ₹50,000 करोड़ के रक्षा निर्यात का है। करीब 80 देशों को भारतीय रक्षा उपकरण भेजे जा चुके हैं। ऐसे में रक्षा शेयरों में यह उछाल केवल अस्थायी नहीं, बल्कि लंबे समय तक चलने वाला ट्रेंड माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की तरह भारत भी अब ‘मिलिट्री-इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स’ के दौर में प्रवेश कर चुका है, जिससे आर्थिक और सामरिक मजबूती दोनों को बल मिलेगा।