सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में एक से बड़कर एक बड़े खुलासे किए। जिसमें उन्होंने बसपा के तूटने, मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में सरकार के गठन को लेकर और साथ ही इसके पीछे बीजेपी का कौन सा वो बड़ा चेहरा था जिसकी सहमति से ये सब कुछ हुआ सब पर खुलकर बातचीत की। समाजवादी पार्टी के नेता और मुलायम सिहं यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव ने यूपी की 21 साल की राजनीति की पुरानी यादें ताज़ा कर दीं। साथ ही ये भी स्पष्ट कर दिया कि राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है।
बसपा नहीं टूटती तो बीजेपी का टूटना था तय
इंटरव्यू में बीजेपी-बसपा की सरकार पर विस्तार से चर्चा करते हुए शिवपाल सिहं यादव ने बताया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई से हरि झंडी मिलते ही शिवपाल यादव ने तीन लोगों की एक टीम बनाई थी। जिसमें से एक वे खुद ही थे। बाकी के दो नेता अमर सिंह और अरविंद गोप थे। इन तीनों की तिगड़ी ने मिलकर रातों-रात बसपा के 37 विधायकों को तोड़कर अपने पाले में कर लिया था। मामले के तूल पकड़ने के बाद मुलायम सिंह यादव ने सीएम पद की शपथ ली थी। इन सब के बीच एक बात और उन्होंने बताई कि बसपा ही नहीं बीजेपी के भी कई विधायक उनके संपर्क में थे और पार्टी टूट जाती। ऐसे में तब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पास दो ही चारे थे या तो बसपा को टूटने देते और बीजेपी को बचा लेते या फिर बसपा को टूटने देते। अटल बिहारी वाजपेयी ने उस वक्त बीजेपी को टूटने से बचाने के लिए बसपा को टूटने दिया था।
वादे के मुताबिक सबको मिला इनाम- शिवपाल
शिवपाल सिंह यादव ने बताया सरकार बनते ही सभी निर्दलीय और बसपा छोड़कर आए विधायकों को इनाम के तौर पर मंत्रिमंडल में जगह दी गई। शिवपाल के मुताबिक इस नीति ने सपा की सत्ता में वापसी तो करवाई ही साथ ही बहुमत भी दिलाया और पार्टी ने पूरी मजबूती के साथ सरकार बनाई। अब उनके इस खुलासे ने यूपी समेत केंद्र तक सियासी हलचल तेज कर दी है।
नैतिकता पर भी उठे सवाल
साल 2003 की इस घटना के बाद से राजनीति में सबसे बड़ी बात नैतिकता की आती है। उस वक्त बीएसपी के एक वरिष्ठ जोड़-तोड़ की इस राजनीति पर जोर देते हुए कहा था कि “यह खुलासा दिखाता है कि सत्ता के लिए कैसे सिद्धांतों को ताक पर रखा गया।” साल 2027 में यूपी विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में शिवपाल यादव के ये खुलासे बीजेपी समेत कुछ दलों के लिए घातक भी साबित हो सकते हैं।