स्वस्थ जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू पाचन तंत्र है, लेकिन आमतौर पर हम इसे हल्के में लेकर कई बार लापरवाही करते हैं, जिससे शरीर को न केवल नुकसान होता है, बल्कि कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बनता है। पाचन तंत्र को मजबूत और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए आयुर्वेद का मार्गदर्शन एक सरल और प्रभावी उपाय है। हाल ही में भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद के कुछ महत्वपूर्ण ‘गोल्डन रूल्स’ साझा किए हैं, जो खानपान और जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलावों के माध्यम से पाचन तंत्र को सुदृढ़ बनाने पर जोर देते हैं।

आयुर्वेद का पाचन पर असरदार दृष्टिकोण

आयुर्वेद केवल यह नहीं सिखाता कि हमें क्या खाना चाहिए, बल्कि यह यह भी बताता है कि हमें भोजन कैसे और किस मानसिक स्थिति में करना चाहिए। आयुष मंत्रालय के अनुसार, “आयुर्वेद भोजन के सही तरीके पर जोर देता है, जो न केवल पाचन को बेहतर बनाता है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।”

आयुर्वेद के मुताबिक, “भोजन को शांति और अच्छे मानसिक हालात में किया जाना चाहिए, जिससे पाचन तंत्र पर सकारात्मक असर पड़ता है।” मंत्रालय यह सलाह देता है कि भोजन करते समय क्रोध, तनाव या भय से बचें, क्योंकि ये सभी पाचन क्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। भोजन को धीरे-धीरे चबाना न केवल स्वाद को बढ़ाता है, बल्कि यह पाचन एंजाइमों को भी सक्रिय करता है, जिससे भोजन का पाचन ठीक तरीके से होता है।

पानी पीने का सही तरीका

आयुर्वेद में पानी पीने की भी एक खास विधि दी गई है। मंत्रालय के अनुसार, “भोजन के बीच में घूंट-घूंट करके पानी पीना पाचन के लिए बहुत फायदेमंद होता है, लेकिन भोजन के बाद तुरंत पानी पीने से बचें, क्योंकि इससे पाचन प्रक्रिया बाधित हो सकती है।” यह महत्वपूर्ण है कि भोजन के 40 से 45 मिनट बाद पानी पीना चाहिए, ताकि पाचन तंत्र पर अनावश्यक दबाव न पड़े और भोजन सही तरीके से पच सके।

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