समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां ने हाल ही में वाई श्रेणी की सुरक्षा लेने से इंकार कर दिया है। जेल से रिहा होने के बाद आजम खां ने कहा कि उन्हें सुरक्षा दिए जाने की कोई आधिकारिक जानकारी या दस्तावेज नहीं मिला है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार की ओर से लिखित आदेश नहीं आता, तब तक वह सुरक्षा स्वीकार नहीं करेंगे।
आजम खां ने बताया कि सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों से उन्होंने कहा है कि पहले वह सरकार का आदेश लेकर आएं, तभी वह इस व्यवस्था को मानेंगे। सपा नेता ने यह भी सवाल उठाया कि जब एक बार के विधायक को केंद्र सरकार के कमांडो मिल सकते हैं, तो उन्हें केवल वाई श्रेणी की सुरक्षा क्यों दी गई है।
साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि वाई श्रेणी की सुरक्षा में गाड़ी और अन्य खर्च का प्रावधान होता है, जिसका वह वहन करने की स्थिति में नहीं हैं। जेल से बाहर आने के बाद से आजम लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं और अब सुरक्षा को लेकर दिया गया उनका यह बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।
आजम पहले भी कर चुके हैं सुरक्षा वापस
पूर्व में आजम खां 27 माह तक सीतापुर जेल में रहे थे। उस समय जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद उन्हें सुरक्षा दी गई थी, लेकिन उन्होंने सुरक्षा वापस कर दी थी। जेल से बाहर आने के बाद अब दोबारा सुरक्षा की पेशकश की गई है, जिसे लेकर आजम ने स्पष्ट इंकार कर दिया।
सपा नेता दस बार के विधायक, एक बार के लोकसभा सदस्य और राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने पांच बार प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में भी कार्य किया है।
सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस निगरानी
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, वाई श्रेणी की सुरक्षा के तहत पांच पुलिसकर्मी आवास पर तैनात होंगे और तीन सुरक्षा कर्मी सीधे आजम खां के साथ रहेंगे। इससे पहले भी उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई थी, जिसे खत्म नहीं किया गया था। अब जेल से रिहाई के बाद फिर से सुरक्षा दे दी गई है।
जेल में समय और कानूनी पृष्ठभूमि
2012 से 2017 तक कैबिनेट मंत्री रहे आजम खां की मुश्किलें भाजपा सरकार आने के बाद 2019 से बढ़ने लगी थीं। उनके खिलाफ एक के बाद एक सौ से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए। इनमें डूंगरपुर और यतीमखाना बस्ती खाली कराने के नाम पर लूटपाट, चोरी, डकैती, मारपीट और अन्य गंभीर धाराएं शामिल हैं।
23 माह पहले उन्हें बेटे के जन्म प्रमाणपत्र के मामले में कोर्ट से सजा हुई थी। इसके बाद उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खां और पत्नी डॉ. तजीन फात्मा के साथ जेल जाना पड़ा। हालांकि अब सभी जमानत पर रिहा हो चुके हैं।
डूंगरपुर केस में भी उन्हें सजा हुई थी। 23 सितंबर को वह सीतापुर जेल से रिहा हुए। जेल जाने से पहले उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी, जिसे बाद में उन्होंने वापस कर दिया था। लेकिन जेल से रिहाई के बाद फिर से सुरक्षा प्रदान की गई है।
राजनीतिक और सार्वजनिक प्रतिक्रिया
आजम खां का यह कदम राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों ही स्तरों पर चर्चा का विषय बन गया है। उनके इस फैसले को कुछ लोग राजनीतिक बयानबाजी के रूप में देख रहे हैं, वहीं कुछ का मानना है कि यह सुरक्षा व्यवस्था और खर्च को लेकर वास्तविक चिंता का संकेत है।
सपा नेता ने यह भी कहा कि जब एक सामान्य विधायक को केंद्र सरकार से कमांडो सुरक्षा मिल सकती है, तो उन्हें केवल वाई श्रेणी क्यों दी गई। इसके साथ ही गाड़ी और अन्य खर्च का प्रावधान होने के कारण वे इसे स्वीकार करने में असमर्थ हैं।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, सुरक्षा व्यवस्था जारी रहेगी और उनके सुरक्षा कर्मियों की तैनाती सुनिश्चित की गई है। पुलिस का कहना है कि यह सुरक्षा व्यवस्था आजम खां की सुरक्षा और राज्य सुरक्षा दोनों के लिहाज से जरूरी है।
सपा और यूपी की राजनीतिक पृष्ठभूमि
आजम खां समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता होने के साथ ही उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक प्रभावशाली हस्ती हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश में कई बार विधानसभा और संसद सदस्य के रूप में कार्य किया है। उनके जेल जाने और रिहाई की घटनाओं ने राजनीतिक चर्चाओं को और अधिक तगड़ा कर दिया है।
सपा नेता की सुरक्षा और राजनीतिक स्थिति पर यह बयान आने के बाद विपक्ष और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच विचार-विमर्श तेज हो गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि यूपी की राजनीति में आजम खां का नाम अब भी प्रमुख और विवादास्पद बना हुआ है।