नई दिल्ली, 18 सितम्बर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट के अनुसार, बाजार में मजबूत घरेलू प्रवाह के कारण भारत के इक्विटी बाजार में वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) देखी गई।

वेल्थ मैनेजमेंट फर्म एंजेल वन वेल्थ ने कहा, “2024 की पहली छमाही में दुनिया भर में 5,450 से अधिक कंपनियां सूचीबद्ध हुई हैं, जिसमें भारत की हिस्सेदारी करीब 25 फीसदी थी।”

रिपोर्ट में कहा गया है, “पिछले साल भी भारत में बड़ी संख्या में आईपीओ सूचीबद्ध हुए थे। इसका कारण उभरती कंपनियों और क्षेत्रों में घरेलू निवेशकों द्वारा किया गया उच्च निवेश था।”

वैश्विक स्तर पर, आईपीओ बाजार 2021 में अपने चरम पर पहुंच गया। इस अवधि के दौरान, दुनिया भर में 2,388 कंपनियां सूचीबद्ध हुईं और कुल मिलाकर उन्होंने 453.3 बिलियन डॉलर जुटाए।

यह पिछले 20 वर्षों में आईपीओ के माध्यम से जुटाई गई सबसे बड़ी राशि थी।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “मजबूत लिस्टिंग लाभ के कारण बीएसई आईपीओ सूचकांक ने 348 प्रतिशत की पूर्ण बढ़त के साथ बेंचमार्क बीएसई 500 सूचकांक के 165 प्रतिशत की बढ़त को बड़े अंतर से पीछे छोड़ दिया है।”

पिछले कुछ वर्षों में लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) के आईपीओ ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है।

इसमें कहा गया है, “2019 में एसएमई आईपीओ की लिस्टिंग पर औसत लिस्टिंग लाभ लगभग 2 प्रतिशत था, जो 2024 में बढ़कर 74 प्रतिशत हो गया है। मेनबोर्ड आईपीओ का लिस्टिंग लाभ 2020 में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया और तब से 30 प्रतिशत के आसपास सीमित रहा है।”

आईपीओ बाजार में तेजी का एक कारण भारतीय शेयर बाजार का सकारात्मक रिटर्न है।

इस वर्ष की शुरुआत से निफ्टी में लगभग 17 प्रतिशत और सेंसेक्स में लगभग 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

शेयर बाजार में तेजी का कारण भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था है।

वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की जीडीपी 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी और चालू वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।

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