एक्स पर एक पोस्ट में, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे उन्होंने निराशा व्यक्त की और कहा कि प्रधानमंत्री महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे कि NEET उन्होंने अपने सत्र-पूर्व संबोधन में पेपर लीक, भर्ती परीक्षाओं में भ्रष्टाचार, पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुई रेल दुर्घटना और मणिपुर में जारी हिंसा के मुद्दे उठाए।
उन्होंने कहा, ‘‘वह नीट और अन्य भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक को लेकर युवाओं के प्रति कुछ सहानुभूति दिखाएंगे, लेकिन उन्होंने अपनी सरकार में बड़े पैमाने पर हुई धांधली और भ्रष्टाचार की कोई जिम्मेदारी नहीं ली।’’ खड़गे कहा।
आपातकाल के बारे में प्रधानमंत्री की टिप्पणी के जवाब में खड़गे ने सरकार पर सवाल उठाया कि वह 50 साल पुरानी घटना पर ही ध्यान केंद्रित कर रही है, जबकि पिछले दशक के “अघोषित आपातकाल” को नजरअंदाज कर रही है।
उन्होंने कहा, “आप हमें 50 साल पुरानी इमरजेंसी की याद दिला रहे हैं, लेकिन पिछले 10 साल के अघोषित आपातकाल को भूल गए हैं, जिसे लोगों ने खत्म किया था। लोगों ने मोदी जी के खिलाफ जनादेश दिया है। इसके बावजूद अगर वह प्रधानमंत्री बन गए हैं तो उन्हें काम करना चाहिए।”
खड़गे ने लोगों की चिंताओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए विपक्ष की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “विपक्ष और भारत जनबंधन संसद में आम सहमति चाहते हैं, हम सदन में, सड़कों पर और सभी के सामने लोगों की आवाज उठाते रहेंगे।”
अपने पारंपरिक संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने एक जिम्मेदार विपक्ष का आह्वान करते हुए कहा कि लोग संसद में नारे, हंगामा या व्यवधान नहीं, बल्कि सार्थक बहस और परिश्रम चाहते हैं।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि विपक्ष अपनी भूमिका निभाएगा और लोकतंत्र की मर्यादा बनाए रखेगा। साथ ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर कटाक्ष करते हुए आपातकाल को भारत के संसदीय इतिहास पर एक काला धब्बा बताया।