उत्तर प्रदेश की हॉट सीटों में से एक अमेठी सीट आजकल सांसद स्मृति ईरानी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के चलते चर्चा का विषय बनी रहती है। इस सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में जबरदस्त मुकाबला नजर आया था। इस मुकाबले में बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने गाँधी परिवार के राजकुमार राहुल गाँधी को हरा दिया था। इस बीच पूरे दो साल बाद अब अमेठी में एक बार फिर ऐसा संजोग बन रहा है कि दोनों ही बड़े नेता एक बार फिर आमने सामने आने वाले हैं।
अब अगर सियासी गलियारों से आ रही ख़बरों की मानें तो ये बात सच हो सकती है। राहुल गांधी पांचवीं बार इस सीट से अपना नामांकन कर सकते हैं। वहीं राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव लड़ने की अटकलों के उठते ही वो केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के निशाने पर आ गए हैं। अपने चुनावी भाषणों में वह साफ-साफ कहती हैं कि पहले एक समय ऐसा था कि अमेठी में लापता सांसद के पोस्टर लगाए जाते थे, मगर अब ऐसा नहीं है। 1967 (सड़सठ) में बनी अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस से मैदान में उसका ही योद्धा सबसे पहले उतरता रहा है। कांग्रेस के लिहाज से देखें तो यह ऐसा पहला मौका है, जब अमेठी के उम्मीदवार के नाम की घोषणा होने में इतनी देरी हो रही है। अमेठी में हुए 16 चुनाव में अब तक तीन बार को छोड़ दें तो 13 बार यहां कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। उसमें भी पूरे नौ बार गांधी-नेहरू परिवार और दो बार इनके सिपहसालार खुद यहां से सांसद हुए हैं।
बता दें, अमेठी संसदीय सीट में कुल पांच विधानसभाएं हैं। जिसमे अमेठी, जगदीशपुर, गौरीगंज व तिलोई अमेठी है, जबकि सलोन विधानसभा रायबरेली जिले की है। अमेठी इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि गांधी परिवार और अमेठी एक-दूसरे का पर्याय रहे हैं। इस संसदीय सीट से 1980 में पहली बार संजय गांधी ने जीत हासिल की। संजय गांधी के बाद राजीव गांधी, सोनिया गांधी और फिर राहुल गांधी इस सीट से जीतकर संसद पहुंचे। मगर बीते तीन चुनावों की बात करें तो अमेठी की जनता का मूड कुछ बदला-बदला नजर आया है। वर्ष 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनावी समर में उतरे राहुल गांधी ने 57.24 फीसदी मतों के अंतर से जीत दर्ज की, लेकिन, 2014 के चुनाव में परिणाम कुछ अलग दिखा। इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरीं स्मृति जूबिन ईरानी मजबूती से लड़ीं। अब वो बात अलग है कि राहुल गांधी ने ही यहां से जीत दर्ज की, लेकिन मतों का प्रतिशत 25.07% घटने के साथ ही जीत के अंतर में 32.83% कमी आई। फिर वर्ष 2019 के चुनाव में स्मृति ने गांधी परिवार के गढ़ पर कब्ज़ा जमाते हुए इस सीट की पांच विधानसभाओं में से चार पर जीत हासिल की थी।
वैसे इस बार अमेठी सीट फिर काफी ज्यादा चर्चा का विषय बनी हुई है। इस सीट पर 20 मई को लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में मतदान होना है। सियासी गलियारों में सिर्फ एक सवाल चल रहा है कि क्या स्मृति ईरानी और राहुल गांधी का यहां से फिर से एक बार मुकाबला दिखने वाला है। हालांकि, अभी तक इस मामले में ना बीजेपी ने अपने पत्ते खोले हैं और ना ही कांग्रेस ने अपने दांव के बारे में कोई जानकारी दी है। इस बीच अमेठी में कांग्रेस कार्यालय की रंगाई-पुताई और ‘राहुल बिन अमेठी सून’ के पोस्टर को देखते हुए सियासी जानकारों का मानना है कि अगर राहुल गाँधी इस सीट से इस बार चुनाव लड़ते हैं तो गैर कांग्रेसी सांसद के दोबारा जीतने, जीत का अंतर बढ़ाने और सभी पांचों विधानसभा सीटों से जीत हासिल करना स्मृति ईरानी के सामने एक बड़ी चुनौती हो सकती है।