उत्तर प्रदेश में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के चयन को लेकर यूपी कैबिनेट ने एक अहम फैसला लिया है। अब यूपी में ही डीजीपी के चयन के लिए नियमावली तय की जाएगी और इसे यूपीएससी को नहीं भेजा जाएगा। कैबिनेट ने यूपी के डीजीपी के कार्यकाल को लेकर भी एक नया निर्णय लिया है, जिसके तहत अब डीजीपी का कार्यकाल दो साल का होगा।
इस फैसले के तहत, यूपी सरकार ने पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश चयन एवं निर्देशावली 2024 को मंजूरी दे दी है। अब डीजीपी का चयन एक विशेष समिति द्वारा किया जाएगा, जो हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में गठित होगी। इस समिति में मुख्य सचिव, यूपीएससी से नामित व्यक्ति, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के अध्यक्ष या उनके नामित प्रतिनिधि, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव गृह, और एक रिटायर डीजीपी भी शामिल होंगे।
DGP की नियुक्ति कैसे की जाएगी…
1 – पे मैट्रिक्स 16 लेवल के सभी अधिकारी डीजीपी बनने के लिए अब क्वालीफाई कर सकेंगे जिनकी छह महीने की नौकरी बची हो,आमतौर पर डीजी स्तर के सभी अधिकारी इस लेवल पर होते हैं ।
2 – सितंबर 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को एक पुलिस एक्ट बनाने के लिए कहा था जिससे डीजीपी के चयन की व्यवस्था को दबाव से मुक्त रखा जाए लेकिन तब से अब तक चयन के लिए यूपी ने कोई अलग व्यवस्था नहीं की थी अब यूपी में डीजीपी के चयन की अपनी नियमावली कैबिनेट से पास करके बना ली है।
3- अभी तक यूपीएससी गाइडलाइंस के तहत डीजी स्तर के सभी अफसरों का नाम प्रदेश सरकार यूपीएससी को भेजती है, यूपीएससी इनमें से सीनियर मोस्ट तीन अफसरों के नाम प्रदेश सरकार को वापस भेजती थी इनमें से ही किसी एक को ही विजिलेंस क्लियरेंस के बाद डीजीपी बनाना होता है।
4 – 11 मई 2022 को मुकुल गोयल के हटाए जाने के बाद से ही यूपी में कार्यवाहक डीजीपी से काम चलाया जा रहा है ।
मुकुल गोयल के बाद डॉक्टर डीएस चौहान ,आरके विश्वकर्मा, विजय कुमार और वर्तमान डीजीपी प्रशांत कुमार को भी कार्यवाहक डीजीपी के रूप में तैनाती दी गई है। मुकुल गोयल को डीजीपी के पद से हटाने के बाद यूपीएससी को नए डीजीपी के चयन के लिए यूपी सरकार ने पैनल नहीं भेजा।
5 – सुप्रीम कोर्ट में कैबिनेट के फैसले को चुनौती दी जा सकती है।
इसके साथ ही चर्चा यह भी है कि यूपी सरकार प्रशांत कुमार को पूर्णकालिक डीजीपी बनाने की तैयारी कर रही है। उन्हें दो साल का निश्चित कार्यकाल मिलने की संभावना है। देर रात से इस निर्णय को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि कैबिनेट का प्रस्ताव शायद प्रशांत कुमार को स्थायी डीजीपी बनाने के लिए लाया गया था।
यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बदलने के रूप में देखा जा सकता है, और इस कदम को लेकर कानूनी विशेषज्ञों में भी चर्चाएं हो रही हैं।