दुनिया के सबसे बड़े और ईंधन-कुशल कंटेनर जहाजों में से एक MSC तुर्किये ने बुधवार को केरल में अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (APSEZ) द्वारा संचालित विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह पर डेरा डाला।

सूत्रों के अनुसार, यह पहली बार है जब यह विशाल जहाज किसी भारतीय बंदरगाह पर आया है। इसे भारत के समुद्री इतिहास की एक ऐतिहासिक घटना माना जा रहा है। MSC तुर्किये का आगमन विझिंजम बंदरगाह की वैश्विक ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में बढ़ती प्रतिष्ठा को मजबूती देता है और यह दिखाता है कि बंदरगाह दुनिया भर से अल्ट्रा-लार्ज कंटेनर वेसल्स (ULCVs) को आकर्षित करने में सक्षम है।

MSC तुर्किये, जिसे मेडिटेरेनियन शिपिंग कंपनी (MSC) द्वारा संचालित किया जा रहा है, एक आधुनिक इंजीनियरिंग का चमत्कार है। यह जहाज 399.9 मीटर लंबा, 61.3 मीटर चौड़ा और 33.5 मीटर गहरा है। यह लगभग 24,346 ट्वेंटी-फुट इक्विवेलेंट यूनिट्स (TEUs) ले जाने में सक्षम है, जिससे यह अब तक बनाए गए सबसे बड़े कंटेनर जहाजों में से एक बन गया है।

इसकी विशालता के अलावा, MSC तुर्किये को इसकी पर्यावरण के अनुकूल डिजाइन के लिए भी सराहा जा रहा है। इस जहाज को ईंधन दक्षता और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
सूत्रों के अनुसार, इसका प्रति कंटेनर कम कार्बन फुटप्रिंट है, जिससे प्रति टन कार्गो पर CO₂ उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आती है। यह जहाज लाइबेरिया के झंडे के अंतर्गत आता है और यह वैश्विक शिपिंग में स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।

MSC तुर्किये का आगमन, विझिंजम बंदरगाह को एक प्रमुख वैश्विक समुद्री केंद्र बनाने की APSEZ की महत्वाकांक्षी योजना के अनुरूप है। यह बंदरगाह 2015 में स्थापित हुआ था और पिछले वर्ष से इसका संचालन शुरू हुआ है।

पिछले वर्ष सितंबर में, MSC का एक अन्य अल्ट्रा-लार्ज कंटेनर वेसल MSC क्लॉड गिरार्डेट भी विझिंजम बंदरगाह पर पहुंचा था। यह 399.99 मीटर लंबा और 61.5 मीटर चौड़ा जहाज था, जिसकी क्षमता 24,116 TEUs थी। उस समय यह भारत आने वाला सबसे बड़ा कंटेनर जहाज था, जिसे अब MSC तुर्किये ने पीछे छोड़ दिया है।

APSEZ द्वारा संचालित यह गहरे पानी का बंदरगाह भारत का पहला मेगा ट्रांसशिपमेंट कंटेनर टर्मिनल है। यह अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्गों के सबसे निकट स्थित है और भारतीय समुद्री तटरेखा के मध्य में है। यह बंदरगाह व्यस्त पूर्व-पश्चिम शिपिंग चैनल से केवल 10 समुद्री मील (19 किमी) दूर स्थित है, जो यूरोप, पर्सियन गल्फ, दक्षिण-पूर्व एशिया और फार ईस्ट को जोड़ता है।

प्राकृतिक रूप से 20 मीटर की गहराई के साथ, इस बंदरगाह में कम ड्रेजिंग की आवश्यकता होती है और यह दुनिया के सबसे बड़े जहाजों को समायोजित कर सकता है, जिनमें 24,000 TEUs से अधिक वाले ULCVs भी शामिल हैं।

विझिंजम बंदरगाह में अत्याधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और बड़ी मात्रा में स्वचालन (Automation) की सुविधा है, जिससे जहाजों का तेजी से टर्नअराउंड संभव होता है। पहले चरण में इसकी क्षमता 10 लाख TEUs है, जिसे आगे के चरणों में बढ़ाकर 45 लाख TEUs किया जाएगा।

अडानी ग्रुप का केरल सरकार के साथ 40 वर्षों का समझौता है, जिसके अंतर्गत सभी चरणों को 2028 तक पूरा किया जाना है। पूर्ण रूप से संचालन में आने के बाद यह बंदरगाह भारत की 50% कंटेनर ट्रांसशिपमेंट आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होगा और दुबई, कोलंबो और सिंगापुर जैसे एशियाई बंदरगाहों पर निर्भरता को कम करेगा।

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