लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजमगढ़ में नए आवास और कार्यालय में विधिपूर्वक गृह प्रवेश किया है। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत निवास नहीं, बल्कि एक बड़े सियासी संकेत की तरह देखा जा रहा है। क्या अब अखिलेश यादव खुद आजमगढ़ में डेरा जमाने वाले हैं? क्या आगामी चुनावों की रणनीति की शुरुआत इसी जमीन से होने वाली है?

पूर्वांचल की 117 सीटों का केंद्र आजमगढ़

आजमगढ़ में अखिलेश यादव के नए आशियाने के निर्माण से समाजवादी पार्टी पूर्वांचल की विधानसभा की 117 सीटों पर निशाना साधने की कोशिश करेगी, जहां एक तरफ अखिलेश यादव राजधानी लखनऊ से मध्यांचल की सीटों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं और सैफई से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सीटों पर नजर बनाए हुए हैं। ऐसे में पूर्वांचल की सीटों पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए सपा का गढ़ कहा जाने वाले आजमगढ़ में इस आवास का निर्माण कराया गया है। इसके अलावा जिस तरीके से भाजपा गोरखपुर को अपना केंद्र बिंदु बनाए हुए हैं, ठीक उसी तरह समाजवादी पार्टी पूर्वांचल में आजमगढ़ को केंद्र बिंदु बनाने की तैयारी में है।

नया घर नहीं, रणनीति का नया अड्डा

अखिलेश यादव का यह नया आवास अनवरगंज, आजमगढ़-लखनऊ मार्ग पर बना है। इसके साथ ही एक आधुनिक कार्यालय भी तैयार किया गया है। पूरी विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर गृह प्रवेश किया गया। स्थानीय समाजवादी नेताओं और कार्यकर्ताओं की भारी मौजूदगी ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि पार्टी यहां से भविष्य की रणनीति गढ़ने को तैयार है।

आजमगढ़ में क्यों है यह कदम अहम?

आजमगढ़ अखिलेश यादव का पारंपरिक गढ़ रहा है। 2019 में उन्होंने यहीं से लोकसभा चुनाव जीता था। हालांकि 2022 में इस्तीफा देकर वह करहल से विधानसभा पहुंचे। अब नए सिरे से आजमगढ़ में यह सक्रियता क्या दर्शाती है।

पूर्वांचल में सपा का कमजोर हो रहा आधार– भाजपा और अन्य दलों ने पिछले कुछ वर्षों में पूर्वांचल में अपनी पकड़ मजबूत की है। ऐसे में अखिलेश यहां से पार्टी को फिर से संजीवनी देने की कोशिश में हैं।
2026 विधानसभा चुनाव की तैयारी – माना जा रहा है कि सपा अब विधानसभा के लिए उम्मीदवारों का चयन और जमीनी तैयारी यहीं से संचालित करेगी।
जमीनी जुड़ाव की रणनीति – आवास के साथ ही स्थायी कार्यालय से कार्यकर्ताओं और आम जनता से सीधा संवाद बढ़ेगा।

कार्यकर्ताओं में उत्साह, विरोधियों में बेचैनी

अखिलेश यादव के आजमगढ़ आगमन और गृह प्रवेश के बाद जिले भर में सपा कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर है। वहीं, भाजपा और अन्य दलों के बीच इस कदम से हलचल बढ़ गई है। स्थानीय नेताओं का मानना है कि अखिलेश का स्थायी निवास यहां बनवाना “साइलेंट पॉलिटिकल इन्वेस्टमेंट” है, जो लंबे समय में बड़ा राजनीतिक लाभ दिला सकता है।

अखिलेश यादव का आजमगढ़ में घर बनवाना केवल एक निजी निर्णय नहीं, बल्कि आने वाले चुनावों के लिए पार्टी की आक्रामक रणनीति का संकेत है। पूर्वांचल की राजनीति फिर से गरमाई है, और इसकी केंद्र बिंदु अब फिर से ‘आजमगढ़’ बनता दिख रहा है।

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