आयकर रिटर्न दाखिल करते समय रिफंड का दावा कर सकते हैं.
नई दिल्ली :
ऐसे करदाता जो यह सोचते हैं कि उनकी आमदनी पर जरूरत से ज्यादा TDS काटा जा रहा है तो वो आयकर रिटर्न दाखिल करते समय धनवापसी का दावा कर सकते हैं. आपके महीने की सैलरी, मकान किराए, निवेश पर रिटर्न और ऐसे अन्य आय के स्रोतों पर TDS काटा जाता है. हालांकि, जब कटौती करदाताओं की देनदारी से अधिक हो जाती है, तो राशि में जो अंतर होता है उसे वापस कर दिया जाता है. यदि आपको भी TDS Refund लेना है तो हम बताते हैं कि आप कैसे इसका दावा कर सकते हैं.
टीडीएस रिफंड कैसे प्राप्त करें
करदाता अपने आयकर रिटर्न में कटौती का उल्लेख करके अपने टीडीएस रिफंड का दावा कर सकते हैं. उचित सत्यापन (verification) के बाद, I-T विभाग आपके द्वारा दिए गए बैंक खाते में अतिरिक्त राशि वापस कर देगा.
बिना किसी विलंब शुल्क या जुर्माने के आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है.
अपना टीडीएस दावा प्राप्त करने का एक अन्य तरीका आवश्यक जानकारी और सहायक दस्तावेजों के साथ अपने बैंक के साथ फॉर्म 15जी जमा करना है. एक ऋणदाता (Lender) आमतौर पर टीडीएस ऑनलाइन जमा करता है, और वार्षिक वित्तीय घोषणा के दौरान धनवापसी का अनुरोध किया जा सकता है.
रिफंड स्टेटस की जानकारी कैसे लेः
- इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के e-filing पोर्टल पर जाएं.
- आवश्यक क्रेडेंशियल सबमिट करके अपने खाते में साइन इन करें
- ड्रॉप-डाउन मेनू से “रिटर्न / फॉर्म देखें” चुनें
- ड्रॉप-डाउन मेनू से “आयकर रिटर्न” चुनें
- फिर अपना मूल्यांकन वर्ष दर्ज करें और सबमिट पर क्लिक करें
- अंत में, अपने अनुरोध का स्टेटस देखने के लिए ड्रॉप-डाउन मेनू से पावती संख्या का चयन करें
करदाता NSDL वेबसाइट पर रिफंड ट्रैकिंग पेज (Refund tracking Page) के जरिए अपने टीडीएस रिफंड की स्थिति को भी ट्रैक कर सकते हैं. यहां, व्यक्ति को उस आकलन को जमा करना होगा जिसके लिए उन्होंने धनवापसी का दावा किया है, इसके बाद अपना PAN डिटेल्स जमा करना होगा और फिर कैप्चा विवरण को सत्यापित करना होगा.
I-T विभाग द्वारा स्वीकृत होने के बाद TDS रिफंड को प्रोसेस होने में आमतौर पर कुछ महीने लगते हैं. जिन मामलों में वित्तीय वर्ष के लिए देय कुल कर के 10 प्रतिशत से अधिक धनवापसी का भुगतान किया जाना है, उन मामलों में धनवापसी के साथ 6 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज दर का भुगतान किया जाता है.
ब्याज भुगतान के संबंध में करदाता को धारा 143(1) के तहत एक सूचना भी प्राप्त होगी।