Rupee-Dollar Rate: रुपये में आज 7 पैसे की कमजोरी आई. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:
डॉलर में मजबूती और कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी के बीच भारतीय करेंसी रुपया (Rupee against dollar) आज शुक्रवार को फिर गिर गया है. हालांकि, करेंसी गुरुवार को 80 प्रति डॉलर के स्तर से उबरने में कामयाब रही थी. आज शुक्रवार को अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 5 पैसे टूटकर 79.90 पर आया था. लेकिन थोड़ी ही देर में यह 79.92 रुपये प्रति डॉलर पर आ गया. इस तरह एक दिन पहले की तुलना में रुपये में सात पैसे की कमजोरी आ गई. इस बीच, छह मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.01 प्रतिशत बढ़कर 106.54 पर रहा.
गुरुवार को कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और विदेशी पूंजी का निवेश बढ़ने के कारण रुपया अपने ऐतिहासिक निचले स्तर से उबरकर और 20 पैसे सुधरकर 79.85 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. बुधवार को आयातकों की भारी डॉलर मांग के कारण रुपया पहली बार 80 प्रति डॉलर के स्तर से नीचे बंद हुआ था.
अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा एक प्रतिशत मजबूत होकर 104.90 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था.
रुपया ऐतिहासिक गिरावट पर, लेकिन भारतीय कंपनियों का यह कदम बढ़ा सकता है और मुश्किलें
इस वित्त वर्ष में सुधार की उम्मीद नहीं, हो सकता है और कमजोर
रुपया 80 रुपये प्रति डॉलर ऐतिहासिक निचले स्तर को छू चुका है और चालू वित्त वर्ष में इसमें कोई सुधार होने की उम्मीद नहीं है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के कारण मध्यम अवधि में रुपया और नीचे जा सकता है.
स्विस ब्रोकरेज यूबीएस सिक्योरिटीज ने गुरुवार को जारी रिपोर्ट में कहा कि रुपया इस साल अब तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 7.5 प्रतिशत टूट चुका है. यह मार्च तक 80 प्रति डॉलर के स्तर पर रहेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू खाते के घाटे (कैड) पर दबाव को देखते हुए रुपये के लिए कोई राहत नहीं होगी और मध्यम अवधि में इसमें और गिरावट आ सकती है. यह बढ़ते व्यापार घाटे और विदेशी कोषों द्वारा बड़े पैमाने पर बिकवाली के कारण होगा.
विदेशी निवेशकों ने चालू साल की शुरुआत से अबतक भारत से 29 अरब डॉलर या अपने निवेश का 4.4 प्रतिशत निकाल लिया है.
Video : रवीश कुमार का प्राइम टाइम- डॉलर के लिए भारत छोड़ा, डॉलर ने भी छोड़ा भारत, रुपया क्या आगे भी होगा कमज़ोर?