आपको समय पर आयकर रिटर्न क्यों दाखिल करना चाहिए?
आयकर रिटर्न का एक साफ ट्रैक रिकॉर्ड होने से ऋण (Loan) लेना आसान हो जाता है. समय पर आयकर रिटर्न दाखिल करने के कई फायदे हैं जैसे आप जुर्माना (Penalty) से बच जाते हैं, आप पर कानूनी कार्रवाई नहीं होगी, आसानी से ऋण अनुमोदन होगा, नुकसान को आगे ले जाने की परेशानी से बचेंगे और अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए तुरंत वीजा (Visa) मिलेगा.
यदि आप समय सीमा चूक गए तो क्या होगा?
21 जुलाई को एक स्थानीय सर्किल के सर्वे में पाया गया कि लगभग 54 प्रतिशत व्यक्तिगत आय करदाताओं ने अभी तक अपना रिटर्न दाखिल नहीं किया है. आईटीआर दाखिल करने की समय सीमा का पालन करने में विफल रहने वालों के लिए इस साल जुर्माना भी कड़ा है.
ITR फाइल करने में देरी पर ₹10,000 का जुर्माना लग सकता है. आईटीआर के माध्यम से, एक व्यक्ति को वर्ष के दौरान आय और उस पर भुगतान किए जाने वाले करों के बारे में भारत सरकार के आयकर विभाग को जानकारी देनी होती है.
यदि किसी व्यक्ति की आय छूट की सीमा से अधिक है, तो उसे टैक्स रिटर्न दाखिल करना होगा. नई कर व्यवस्था के तहत, छूट की सीमा ₹ 2.5 लाख निर्धारित की गई है.
पुरानी व्यवस्था के तहत, 60 वर्ष से कम आयु वालों के लिए छूट की सीमा ₹ 2.5 लाख है; 60 से 80 वर्ष (वरिष्ठ नागरिक) के बीच के लोगों के लिए ₹ 3 लाख; और 80 वर्ष (सुपर सीनियर सिटीजन) से अधिक आयु वालों के लिए ₹ 5 लाख.
जहां नई व्यवस्था ने कई छूटों (Exemptions) को समाप्त कर दिया है, वहीं कर स्लैब (Tax Slab) पुरानी व्यवस्था की तुलना में बहुत कम दरों पर काम कर रही है.
आयकर (I-T) स्लैब सिस्टम के आधार पर लगाया जाता है, जिसका अर्थ है कि आय के स्तर के अनुसार दरें बदलती रहती हैं. आय बढ़ने पर कर की दर बदल जाती है.
सात प्रकार के फॉर्म
आयकर विभाग ने सात प्रकार के आईटीआर फॉर्म निर्धारित किए हैं. किस फॉर्म को कौन इस्तेमाल करेगा यह टैक्स-पेयर के आय की प्रकृति और राशि और करदाता के प्रकार पर निर्भर करता है.
ITR 1 या सहज: यह आयकर रिटर्न फॉर्म उन व्यक्तियों के लिए है जिनकी एक वित्तीय वर्ष में कुल आमदनी ₹ 50 लाख से कम है. इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: वेतन/पेंशन से आय, मकान जैसे संपत्ति से लाभ (इसमें उन मामलों को शामिल नहीं किया गया है जहां पिछले वित्तीय वर्ष से नुकसान को आगे लाया गया है), अन्य स्रोतों से आय (लॉटरी और रेस हाउस जीतना शामिल नहीं है), और कृषि गतिविधियाँ से आय ₹ 5,000 से अधिक न हों.
आईटीआर 2: यह उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवार (Hindu Undivided Family) (HUF) के लिए है जिनकी एक वित्तीय वर्ष में निम्नलिखित स्रोतों से कुल आय ₹ 50 लाख से अधिक है.
आईटीआर 3: इस फॉर्म का इस्तेमाल ऐसे व्यक्ति या एचयूएफ द्वारा किया जा सकता है जिनकी आय का स्रोत व्यवसाय या पेशे से उत्पन्न होता है।
आईटीआर 4: व्यक्ति, एचयूएफ और भागीदारी फर्म (एलएलपी के अलावा) और भारत के निवासी आईटीआर 4 के तहत रिटर्न दाखिल करने के लिए योग्य माने जाएंगे अगर उनकी आय में धारा 44 एडी/44 एई के तहत अनुमानित आय योजना के अनुसार व्यावसायिक आय शामिल है, पेशेवर कमाई धारा 44 एडीए के तहत अनुमानित आय योजना के अनुसार और वेतन/पेंशन से आय ₹ 50 लाख से अधिक नहीं है.
आईटीआर 5: यह निम्नलिखित करदाताओं के लिए उपयोगी होता है जैसे फर्म, सीमित देयता भागीदारी (limited liability partnerships (LLPs), व्यक्तियों का संघ Association of Persons (AOPs), व्यक्तियों का निकाय Body of Individuals (BOIs), कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति Artificial Juridical Person (AJP), मृतक की संपत्ति, दिवालिया की संपत्ति, व्यापार ट्रस्ट और निवेश कोष.
आईटीआर 6: यह फॉर्म उन कंपनियों के लिए उपयोगी होता है जो धारा 11 के तहत कर छूट का दावा करती हैं. यह खंड धर्मार्थ ट्रस्टों और धार्मिक संस्थानों के लिए रखी गई संपत्ति से अर्जित आय के लिए है. यहां ध्यान देने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि यह आईटीएस केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप से ही दाखिल किया जा सकता है.
आईटीआर 7: इसका उपयोग व्यक्तियों और कंपनियों द्वारा किया जाना है जिन्हें इन Sections के तहत कर रिटर्न दाखिल करना आवश्यक है: 139 (4ए), 139 (4बी), 139 (4सी), 139 (4डी), 139 (4ई) और 139 (4 एफ).
इस साल से आईटीआर नियमों में क्या हैं बदलाव?
सरकार पिछले साल से 75 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को आईटीआर दाखिल करने से सशर्त राहत दे रही है. यह छूट केंद्रीय बजट 2021 में पेश की गई धारा 194P के कारण दी गई है.
धारा 194P के अनुसार, वरिष्ठ नागरिकों को आईटीआर दाखिल करने की आवश्यकता नहीं है अगर वो भारत में रह रहे हैं और पिछले वर्ष के दौरान 75 वर्ष या उससे अधिक उम्र के हैं.
बजट ने आकलन वर्ष के अंत से 24 महीने की एक विंडो भी पेश की, जिसमें एक संशोधित आईटीआर दाखिल करने की व्यवस्था है. इसमें वैसे करदाता रिटर्न भर सकते हैं जो किसी आमदनी की रिपोर्ट करने से चूक जाते हैं या उन्हें पहले कर रिटर्न दाखिल करने के बाद किसी त्रुटि का पता चलता है.
दो साल के लिए उन करों के भुगतान का भी अवसर मिलेगा जिनका अभी तक किसी करदाता ने भुगतान नहीं किया है.
High-Value Transactions के लिए आयकर नोटिस
आयकर विभाग एक विशिष्ट सीमा से अधिक उच्च मूल्य के नकद लेनदेन की निगरानी करता है. यदि आप अपने आयकर रिटर्न (आईटीआर) फाइलिंग में ऐसे लेनदेन का उल्लेख करने में विफल रहते हैं, तो आपको नोटिस मिलने की संभावना है.
आयकर रिटर्न दाखिल करने में अब वह परेशानी नहीं रही जो पहले हुआ करती थी. टैक्स-फाइलिंग की समय सीमा को पूरा करने के लिए लंबी कतारें और अंतहीन चिंताएं दूर हो गईं हैं. ऑनलाइन फाइलिंग के साथ, जिसे ई-फाइलिंग भी कहा जाता है, अपने घर या कार्यालय में रहकर बहुत कम समय में रिटर्न दाखिल किया जा सकता है.