भारत में मंदी की आशंका बहुत कम है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:
अर्थशास्त्रियों के एक सर्वे में यह नतीजे सामने आए हैं कि एक ओर जहां यूनाइटेड स्टेट्स सहित एशिया, यूरोप की कई अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का खतरा मंडरा रहा, वहीं भारत के लिए ऐसी नगण्य संभावनाएं हैं. भारत अगले साल मंदी के खतरे से साफ बचा रह सकता है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भले ही रुपया डॉलर के मुकाबले 80 डॉलर प्रति रुपये के सार्वकालिक स्तर को पार कर गया है, लेकिन भारत में मंदी की आशंका बहुत कम है.
Bloomberg के सर्वे में कहा गया है कि महामारी की वजह से आए स्लोडाउन, यूक्रेन-रूस संघर्ष की वजह से आई वैश्विक अस्थिरता और अधिकतर देशों में बढ़ी महंगाई की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेज गिरावट आने के अनुमान के चलते मंदी का खतरा बढ़ गया है.
सर्वे के मुताबिक, एशिया में मंदी आने की संभावना 20-25 फीसदी है. एशियाई देशों में सबसे ज्यादा मंदी का खतरा श्रीलंका में है, जहां मंदी आने की संभावना 85 फीसदी है.
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अर्थशास्त्रियों ने पाया कि यूनाइटेड स्टेट्स के अगले साल तक मंदी का शिकार होने की संभावना 40 फीसदी तक है. सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यूएस में मुद्रास्फीति दर ऊंचाई पर है और माना जा रहा है कि अगर वक्त रहते सही कदम नहीं उठाए गए तो जल्द ही वहां मंदी आ जाएगी.
चीन, ताइवान और ऑस्ट्रेलिया में मंदी आने की संभावना 20 फीसदी, न्यूज़ीलैंड में 33 फीसदी व साउथ कोरिया और जापान में 25 फीसदी है. उधर, रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते यूरोप में सबसे ज्यादा 55 फीसदी मंदी आने की संभावना है.
हाल ही में Reuters ने भी एक सर्वे किया था, जिसमें अनुमान लगाया गया था कि वैश्विक अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से नीचे जा सकती है और मंदी का बड़ा खतरा सबके सिर पर है.
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