उत्तर प्रदेश के पंचायतीराज विभाग में इन दिनों असमंजस और भ्रांतियों का माहौल बना हुआ है। नए निदेशक अमित सिंह के आने के बाद से विभाग में बड़े बदलावों की बात चल रही है, लेकिन अफसरों की अड़ंगेबाजी और चहेती कंपनियों के रजिस्टर नहीं होने के कारण विभागीय कार्य ठप हो गए हैं। हाल ही में, प्रमुख सचिव और निदेशक ने एक नया टेंडर कराने का निर्णय लिया है, जिससे विभाग के तीन महीने की मेहनत पर पानी फिरने की आशंका जताई जा रही है।

प्रशिक्षण और IEC (सूचना, शिक्षा और संचार) के टेंडर को लेकर विभाग में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। अधिकारियों के इस कदम के कारण पंचायतीराज विभाग का काम प्रभावित हो रहा है। 31 मार्च को विभाग का 3 हजार करोड़ रुपये का बजट लैप्स हो गया था, जिससे गांवों में प्रशिक्षण और रोजगार सृजन की दिशा में काम रुक गया है।

नए निदेशक अमित सिंह का जल निगम में तैनाती के दौरान अनिल कुमार के साथ काम करने का अनुभव था, लेकिन अब विभाग में मंत्री और प्रमुख सचिव के बीच टशन के चलते विभागीय काम ठप हो गया है। अधिकारी इस स्थिति से निपटने के बजाय बेतहाशा शिकायतें दर्ज करा रहे हैं, जबकि चहेती कंपनियां लगातार रजिस्टर नहीं हो रही हैं। इस बीच, विभाग के अधिकारियों की इस कार्यशैली से राज्य में पंचायतीराज विभाग की कार्यक्षमता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

अब पाकिस्तान की खैर नहीं...रक्षा मामलों की संसदीय समिति की बैठक खत्म, जानिए क्या लिए गए फैसले !

शेयर करना
Exit mobile version