Central Government Bill 2025. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मार्च 2024 के अंत में दिल्ली आबकारी नीति मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था। उस समय आम आदमी पार्टी (AAP) ने कहा था कि उनकी सरकार जेल से नहीं चलेगी। अब केंद्र सरकार ने बुधवार को एक नया विधेयक पेश किया है, जिसमें यह प्रावधान है कि राज्य और केंद्र के मंत्रियों से गंभीर अपराधों और भ्रष्टाचार के आरोपों में 30 दिनों तक लगातार हिरासत में रहने पर इस्तीफा देने की मांग की जाएगी।
केजरीवाल की गिरफ्तारी और जेल में अवधि
अरविंद केजरीवाल एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्हें गिरफ्तार किया गया और वे लगभग छह महीने तक जेल में रहे। गिरफ्तारी के दौरान, उन्हें किसी भी फ़ाइल पर हस्ताक्षर करने या कोई आदेश जारी करने की अनुमति नहीं थी। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि “मैं दिल्ली के लोगों को आश्वस्त कर सकता हूं कि सरकार जेल से नहीं चलाई जाएगी।
अन्य विपक्षी मुख्यमंत्री और मंत्रियों का अनुभव
केजरीवाल अकेले नहीं थे। 2015 से 2024 के बीच उनकी सरकार के तीन अन्य प्रमुख नेताओं मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और जितेंद्र तोमर ने 30 दिनों से अधिक जेल में समय बिताया। जितेंद्र तोमर ने गिरफ्तारी के तुरंत बाद इस्तीफा दे दिया। सत्येंद्र जैन नौ महीने तक जेल में रहते हुए भी पद पर बने रहे। मनीष सिसोदिया ने गिरफ्तारी के एक हफ्ते के भीतर इस्तीफा दे दिया। वहीं, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी ईडी ने गिरफ्तार किया था, लेकिन उन्होंने गिरफ्तारी से पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और पार्टी ने किसी अन्य को कार्यभार सौंपा।
AAP का केंद्र सरकार के विधेयक पर बयान
AAP के दिल्ली अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा, “केजरीवाल जी को शुरू से ही पता था कि केंद्र की योजना विपक्षी मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को गिरफ्तार करके उनकी सरकारों को निष्क्रिय करना है। अब, केंद्र विपक्षी सरकारों को गिराने की साज़िश को अंजाम देने के लिए कानून लाएगा। पहले वे मुख्यमंत्रियों पर झूठे मुक़दमे दर्ज करेंगे, फिर उन्हें ब्लैकमेल करेंगे। अगर वे नहीं झुकेंगे, तो उन्हें जेल में डाल देंगे और उनकी सरकार गिरा देंगे।”
केजरीवाल का इस्तीफा और सुप्रीम कोर्ट से रिहाई
गिरफ्तारी के लगभग छह महीने बाद, सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत पर रिहा किया। हालांकि, रिहाई की शर्तों के कारण मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यभार सीमित हो गया। इस दौरान उन्होंने अंतिम रूप से इस्तीफा दे दिया।
यह विधेयक और केंद्र की कार्रवाई विपक्ष के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, क्योंकि इसे विपक्षी सरकारों पर दबाव डालने और राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।