वित्त मंत्रालय द्वारा सोमवार को साझा किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि डिजिटल भुगतान हमारे रोज़मर्रा के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। संसद में उठाए गए प्रश्न के जवाब में सरकार ने बताया कि पिछले सात वर्षों में डिजिटल लेनदेन में दस गुना वृद्धि हुई है।

डिजिटल भुगतान के आंकड़े और विकास दर
वित्त वर्ष 2017-18 में 2,071 करोड़ के मुकाबले वित्त वर्ष 2024-25 में डिजिटल भुगतान के लेनदेन की कुल संख्या बढ़कर 22,831 करोड़ हो गई है। इस अवधि में डिजिटल भुगतान के लेनदेन की मूल्य वृद्धि भी हुई है, जो 1,962 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3,509 लाख करोड़ रुपये हो गई है। डिजिटल लेनदेन की मासिक मात्रा जून 2024 में 1,739 करोड़ थी, जो जून 2025 में बढ़कर 2,099 करोड़ हो गई, जबकि लेनदेन का मूल्य 244 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 264 लाख करोड़ रुपये हो गया।

नई यूपीआई नियमों से और भी पारदर्शिता और गति
हाल ही में लागू हुए नए यूपीआई नियमों के तहत, यूपीआई ऐप्स को सफल या असफल भुगतान की अंतिम स्थिति कुछ ही सेकंड में दिखानी होगी, जिससे लंबी प्रतीक्षा अवधि खत्म होगी और लेनदेन में अनिश्चितता कम होगी। साथ ही, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने ऑटो-पे भुगतान के लिए समय सीमा निर्धारित की है।

आरबीआई गवर्नर का बयान: डिजिटल भुगतान की स्थिरता जरूरी
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि भारत डिजिटल भुगतान को कुशल, सुरक्षित और सुलभ बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इस बुनियादी ढांचे की स्थिरता को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि “मैं यह कहना चाहता हूं कि मैंने कभी नहीं कहा कि यूपीआई हमेशा मुफ्त नहीं रह सकता। इस सेवा को चलाने की लागत होती है और यह लागत किसी को वहन करनी होती है।”

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