19 सितंबर 2025 की रिपोर्टों के अनुसार ट्रम्प प्रशासन ने H-1B वीज़ा प्रणाली में कई महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है। ये बदलाव नई और मौजूदा H-1B आवेदन दोनों पर लागू हो सकते हैं और इसका असर छोटे-मध्यम व्यवसायों और भारतीय IT कंपनियों पर पड़ सकता है।

मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं: (1) आवेदन के साथ एक $100,000 अतिरिक्त/non-refundable तरह का शुल्क लगाने का प्रस्ताव / घोषणा, (2) H-1B वर्कर्स के लिए वेज़न (prevailing wage) स्तरों को बढ़ाने की दिशा में कदम, और (3) ये पहल नए आवेदन और renewal दोनों पर प्रभाव डाल सकती हैं।

विस्तृत बिंदु (Detailed Points)।

1) $100,000 आवेदन शुल्क

क्या कहा गया: प्रेस रिपोर्टों में कहा गया है कि प्रशासन ने H-1B petitions/ applications के साथ एक $100,000 शुल्क जोड़ने की घोषणा की है।

लागू कैसे होगा: रिपोर्टें बताती हैं कि यह शुल्क नए applications पर और सम्भवतः renewals/extensions पर भी लागू होगा।

क्या स्पष्ट नहीं है: कई रिपोर्टों से यह स्पष्ट नहीं कि यह शुल्क पूरी तरह non-refundable होगा या किन परिस्थितियों में partial refund/waiver संभव होगा; या क्या प्रत्येक वर्ष (हर renewal) पर पूरा शुल्क लिया जाएगा।

प्रभाव: छोटे/मध्यम कंपनियों के लिए H-1B कर्मचारियों को रखना महँगा हो जाएगा — कुछ नियोक्ता भर्ती घटा सकते हैं या US-based hiring बढ़ा सकते हैं; परन्तु उद्योग और टेक कंपनियों से बड़ा विरोध आ सकता है।

2) Minimum / Prevailing Wage वृद्धि

क्या कहा गया: सरकार ने DOL और सम्बन्धित एजेंसियों को निर्देश दिए हैं कि H-1B श्रेणियों के लिए prevailing wages बढ़ाये जाएँ ताकि विदेशी कर्मचारियों को कम वेतन पर मार्जिनल प्रतिस्पर्धा करने से रोका जा सके।

अनुमानित असर: कुछ रिपोर्टों में न्यूनतम वेतन $150,000 के आंकड़े का उल्लेख हुआ है — पर यह अभी official, final figure तथा कब से लागू होगा, स्पष्ट नहीं है। यह वृद्धि 직종 और skill-level पर अलग-अलग लागू हो सकती है।

3) दायरा (Scope) — नए और मौजूदा वीजा

रिपोर्ट्स यह संकेत देती हैं कि प्रशासन का लक्ष्य केवल नए आवेदन नहीं बल्कि existing H-1B holders पर भी नीतिगत दबाव लाना है (renewal पर conditions)।

किन मामलों पर जोर: विशेषकर उन petitions पर जो overseas processing के साथ हैं; intracompany transfers पर effect अलग हो सकता है।

4) वैधानिक (Legal) और प्रक्रिया संबंधी बिंदु

Rulemaking: बड़े बदलाव अक्सर Administrative Procedures Act (APA) के तहत notice-and-comment rulemaking के द्वारा लागू होते हैं; सीधे proclamation से सारे पहलू लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

न्यायिक चुनौती: अनेक विशेषज्ञ/न्यूज़ रिपोर्ट्स कहती हैं कि $100,000 जैसी भारी फीस और नियोक्ता-लागत उठाने वाले कदमों पर अदालतों में चुनौती की संभावना ऊँची है।

Congressional role: कुछ observers का कहना है कि संसद (Congress) के अधिकार क्षेत्र और appropriations/fee authority का प्रश्न भी उठ सकता है।

5) आर्थिक व सामाजिक प्रभाव

टेक सेक्टर और SMEs पर प्रभाव खासकर अधिक होगा — high-skill पर भी hiring slow हो सकती है।

India का प्रभाव: चूँकि India पर H-1B निर्भरता अधिक है (सबसे ज़्यादा लाभार्थी), भारतीय वर्कर्स और भारतीय IT/outsourcing firms पर असर प्रत्यक्ष होगा — भर्ती घट सकती है, alternative markets/visa pathways explore किए जा सकते हैं।

20 September 2025 | UP News | Uttar Pradesh Ki Taja Khabar | Samachar | CM Yogi | Akhilesh |Politics

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