इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरूवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है। जिसमें कोर्ट ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों की श्रेणी में परपोता को शामिल नहीं किया है। दरअसल कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि परपोता स्वतंत्रता सेनानियों का आश्रित नहीं है। ऐसे में परपोता स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रित की परिभाषा में शामिल नहीं है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुनाया महत्त्वपूर्ण फैसला

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा (स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों, पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण और शारीरिक रूप से विकलांग) अधिनियम, 1993 की धारा 2 (b) के तहत परपोता को ‘स्वतंत्रता सेनानियों का आश्रित’ मानने से इंकार कर दिया है। दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट में कृष्ण नंद राय बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य के संदर्भ में एक याचिका दायर की गई थी।

हाई कोर्ट के जज ने खारिज की याचिका

दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने स्वतंत्रता सेनानी का परपोता होने का दावा किया था। वहीं इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज आलोक माथुर ने याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि परपोता स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों की परिभाषा में नहीं शामिल होता है।

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